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________________ भामाशाह ___ मंत्री-नरेन्द्र ! आप निश्चिन्त रहें, मैं गुप्तचरों द्वारा अभी सारा भेद लिये लेता हूं। (द्वारपाल का प्रवेश) द्वारपाल-( नरेश को अभिवादन कर) प्रजापाल ! मेवाड़ के मन्त्री भामाशाह का दूत द्वार पर उपस्थित है और एक अत्यन्त आवश्यक कार्यवश आपसे मिलने की अभिलाषा प्रकट करता है । मालवेंद्र-जाओ, उसे यहां अविलम्ब उपस्थित होने दो। ( द्वारपाल का गमन ) मालवेंद्र-अभी हम जो प्रसंग चला रहे थे, वह स्वयं उपस्थित हो गया । अब भामाशाह के इधर आनेका उद्देश्य शीघ्र ही ज्ञात होगा। (अभिवादन करते हुए दूत का प्रवेश ) मंत्री-( दृत से ) आइये, कहिये, आज यहां तक भटकने का श्रम कैसे उठाना पड़ा ? __ दूत-मैं मेवाड़ के मंत्री भामाशाह के कार्य से यहां आया हूं। उन्होंने श्रीमान् महाराज की सेवा में यह पत्र प्रेषित किया है, इसके उत्तर के साथ आज ही लौटने का मुझे आदेश है। (पत्र-दान ) ____ मंत्री-- (पत्र का श्रीनाम पढ़ते हुये ) आप अभी अतिथि-भवन में विश्राम कर मार्ग का श्रम दूर करें, पत्र का उत्तर आपको एक प्रहर उपरान्त प्राप्त हो जायेगा। दूत-जो आज्ञा । ( गमन ) । मालवेंद्र--मंत्रिवर ! भामाशाह ने क्या लिखा है ? मंत्री-सुना रहा हूं .......
SR No.009392
Book TitleBhamashah
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDhanyakumar Jain
PublisherJain Pustak Bhavan
Publication Year1956
Total Pages196
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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