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________________ भामाशाह ___ भामाशाह-(पत्र पर श्री नाम लिखते हुए )गुप्तचर ! यह पत्र मालवनरेश तक पहुंचाने का भार तुम्हें दे रहा हूं । पत्र उन्हें देकर और उसका उत्तर भी प्राप्त कर अविलम्ब लौटना है। अतः लो ( पत्र देते हुए ) इसे सुरक्षित रख लो। मार्ग में सावधानी अपेक्षित है। दूत-जो आज्ञा! ( गमन ) पटाक्षेप दृश्य ५ स्थान-मालव-नरेश की राज-सभा। समय-दिन का द्वितीय प्रहर। [ राज सिंहासन पर मालवेन्द्र तथा अन्य आसनों पर मन्त्री, कोषाध्यक्ष आदि ] मालवेन्द्र-अमात्यवर ! आज के नवीन समाचार सुनाइये । मन्त्री नरेन्द्र ! आज कोई विशेष समाचार नहीं, राणा प्रतापसिंह के मन्त्री भामाशाह के इधर आने का समाचार अवश्य गुप्तचर द्वारा प्राप्त हुआ है। ___ मालवेन्द्र-(आश्चर्य से ) मन्त्रिवर ! यह समाचार साधारण नहीं, राणा प्रताप सिंह के मन्त्री इस समय इस ओर अवश्य किसी दुरभिप्राय से आये होंगे । कारण इस समय यवनदल के आक्रमणों से मेवाड़ पर संकट के मेघ मडरा रहे हैं । बप्पा रावल और राणा सांगा की विमल कीर्ति की अग्नि-परीक्षा हो रही है । शिशोदिया वंश की स्वतन्त्रता अन्तिम श्वासें ले रही हैं। इस संकटापन्न काल में राज्य १०४
SR No.009392
Book TitleBhamashah
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDhanyakumar Jain
PublisherJain Pustak Bhavan
Publication Year1956
Total Pages196
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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