________________
(१६)
युग्मकुम्भतुला उष्णाः स्निग्धाङ्गा वावधातवः । रात्रौ चैषां बुधः स्वामी दिने मन्दः सदा गुरुः ॥८५।। कर्कमीनालिनः श्रीताः स्निग्धाश्च श्लेष्मधातवः । दिने चैषां सितः स्वामी रात्रौ भौमः सदा गुरु॥८६॥
अथ राशिवैचित्र्यप्रकरणम् चत्वारो राशयोऽजाद्या धनुमृगो निशा इमे । अन्ये दिवसमाख्याताः शेषाः षडपि राशयः ।।८७।। पृष्ठोदयाः कर्कमृगधनुषवृषा अमी। शेषाः शीर्षोदया ज्ञेया मीनस्तूभयजः स्मृतः ॥८८।। गृहे होरा च द्रेष्काणा नवांशो द्वादशांशकः । त्रिंशांशश्चेति षड्वर्गः शुद्धिः शुद्धांशतोच्यते ॥८९॥ कुजभृगुबुधविधुरविबुधसितकुजगुरुमन्दमन्दरीजीवपतिः ।
मिथुन कुम्भ और तुला लग्म गर्म कोमल तथा वायुप्रकृतिक होते हैं। इनके दिन में शनि, रात में बुध, और गुरु सर्वदा स्वामी हैं ॥८
कर्क, मीन. वृश्चिक लग्न शीत, कोमल तथा कफप्रकृतिक हैं। शुक्र इनके दिन में, मंगल रात में और बृहस्पति सर्वदा स्वामी हैं ।।६।।
राशिवैचित्र्यप्रकरण मेषादिक चार और धनु तथा मकर ये छः राशियां रात को बली होते हैं। इनके अतिरिक्त अन्य छः राशियां दिन को बली होते है ।।८७॥
__कर्क, मकर, धनु, मेष, और वृष पृष्ठोदया होते हैं। इनके अतिरिक्त अन्य लग्न शीर्ष से, केवल मीन मुख-पुच्छ दोनों से उदित . होता है॥८॥
राशि, होरा, द्रेष्काण ( अर्थात् राशि का तीसरा भाग), नवांश, द्वादशांश और त्रिशांश ये षड्वर्ग हैं ।।८६
1. The rea ding युग्म for मिथुन (Amb.) fits in with metre. 2. सदोडपः for सदा गुरु: A, Al. 3. निशामिमे for निशा इमे A. 4. शनिजीवपतिक: for मन्दरीजीवपति: A., शनिश्च जीवपतिः Bh.