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(१८) अर्द्धशब्दौ 'घटकन्यामकराः शब्दवर्जिताः। कर्कवृश्चिकमीनाश्च संप्रतिप्रसवा यथा ॥७९॥ कर्कवृश्चिकमीनाः स्युवहपत्या मिथुनो वृषः । । कुम्भो मध्या हरिमेषकन्यामृगतुलाल्पकाः ॥८॥ तुलालिमकराः कुंभः पाठीनः ककटो वृषः । सजलाश्चााः स्निग्धाश्च सप्ताजाद्याः परेऽन्यथा ॥१॥ सिंहमेषधनुज्ञेयाः स्वर्णादिवर्णतापिनः । राजानो ब्रुवते मीनमृगकर्कास्तनुस्थिताः ।।८२।। रूक्षाः सिंहधनुर्मेषाः पीतोष्णाः पित्तधातवः । दिने चैषां पतिः सूर्यो रात्रौ जीवः सदा शनिः ।।८३।। वृषकन्यामृगा रूक्षा उष्णा शीताश्च वातलाः ।
एषां स्वामी दिने शुक्रो रात्रौ चन्द्रः सदा कुजः ॥८४|| पूर्ण शब्द वाले हैं। धनुष और तुल अर्द्ध शब्द वाले हैं। कुम्भ, कन्या
और मकर शब्दहीन हैं । कर्क, वृश्चिक और मीन सद्यःप्रसव अर्थात शीघ्र फलदायक हैं ।।७८-७६॥
राशियों में कर्क, वृश्चिक, मीन अधिक सन्तान वाले होते हैं: वृष, मिथुन, कुम्भ मध्यम सन्तान वाले, सिंह, मेष, कन्या, मकर, तुल थोड़ी सन्सान वाले होते हैं ।
तुला, वृश्चिक, मकर, कुम्भ, मीन, कर्क, वृष ये राशि सजल, आर्द्र और लिग्ध होते हैं । मेषादिक अन्य राशियों को इन से विपरीत समझना चाहिये ॥८॥
सिंह, मेष, धनु राशि सुवर्ण की तरह प्रकाश वाले होते हैं। मोन, मकर, कर्क यदि लम्र में स्थित हों तो इन्हें राजा कहना चाहिये ॥२॥
सिंह, धनु, मेष रूक्ष लम होते हैं। उनका वर्ण पीला और वे पित्त प्रकृति वाले होते हैं । दिन में इन के स्वामी सूर्य और रात में गुरु और शनि सर्वदा स्वामी होते हैं ॥३॥
वृष, कन्या और मकर रूक्ष लम होते हैं। क्रमशः गम, शीत और वायुप्रकृतिक होते हैं। इनके दिन में शुक्र और रात में चन्द्रमा और मंगल सर्वदा स्वामी होते हैं ।।४।।
1. पट for घट Amb. 2. मध्यो for मध्या Bh. 3. क्रमतो for an Amb 4. FEAT: for 1: A.