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मेषाधास्ते च पूर्वाधाखिMपादिचतुष्टयाः ॥७सा स्वनामा सदृशाकाराः समाचारा' धनुस्त्विह । हयतुल्यपूर्वकायो मकरश्च मृगाननः ॥७४॥ वर्णा रक्तशुक्लपीतनीलपाटलधूसराः । चित्रोऽसितः सुवर्णाभः पिङ्गकर्ष वनवः ।।७५॥ चतुष्पादा वृषो मेषो मृगो धनुरघोऽग्नयः । सिंहो धनुरजोभूमिमरुत्वन्या वृषो मृगः ।।७६॥ खं मिथुनतुलाकुम्भा जलं मीनालिकर्कटाः । अपिस्तुलामृगाश्चापि यथास्थानफला अमी ॥७७|| दग्धस्थानमधः स्वोशः तुलायाः प्रथमोलिनः ।
शब्दौ मेषो वृषः सिंहमिथुनौ च धनुस्तुलौ ॥७८।। मेषादि क्रम से पूर्वादि दिशाओं में श्रावृत्ति कर के तीन तीन राशि बलो होते हैं जैसे--
मेषादि प्रत्येक राशि के आकार और आचार अपने अपने नाम बाले जीवों से मिलते हैं । धनु के पूर्व भाग का आकार घोड़े के शरीर के पूर्व. 'भाग के समान होता है, मकर का आकार मकर के समान होता है ।।७४।।
राशियों के वर्ण क्रम से लाल, सफेद. पीला, नीला, थोड़ा लाल, धूसर, रंगों की मिलावट से विचित्र, काला, सुवर्ण की तरह, पिङ्ग, कबुर ओर बभ्रु होते हैं ॥७॥
मेष, वृष, मकर, धनु, चतुष्पाद अर्थात् पशु हैं। इनका स्वभाव अग्नि के समान है । सिंह, धनु और मेष भूमि हैं । कन्या, वृष और मकर वायु हैं । मिथुन, तुल और कुम्भ आकाश है। मीन, वृश्चिक और कर्क जल है । तुल और मकर अमि भी हैं। स्थानानुसार इनका फल होता है ।।७६-७७॥
__तुल के अपने अंश का नीचे वाला स्थान दग्ध होता है। वृश्चिक का पहला अपना अंश दग्ध स्थान होता है। मेष, वृष, सिंह और मिथुन ____ 1. समवारा for समाचारा Bh. 2 चतुष्पदो for चतुष्पादा A, Al & Bh. 3. रुघाः कन्या for मरुत्कन्या A, & Bh 4. अस्तं for अग्नि A, A1, Bh. 4 प्रथमोनिलः for प्रथमोलिनः Bh.