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________________ SI SIT SI S TIST S TISTS.. जैसे :- अश्व उत्तम जाति का, मनवेग सा गतिवेग है। (12+14=26) देव! आरोहण करो, यह भावमय संवेग है। -- ऋ.पृ.-117. SI S SSI SI S SS SS S SIT एक बड़ा आधार बोधि का, भाई-भाई में संघर्ष । (16+14=30) समाधान केवल उदारता, बन सकता है यह आदर्श। ऋ.पृ.-197 15-15 समान मात्राओं के उदाहरण दृष्टव्य है : ।।। ।ऽ।। ||ऽ ऽ। ।।5।। ।।।। ।।5। प्रकृति मनोहर बहली देश, सुषमामय सुरभित परिवेश। तक्षशिला नगरी अति रम्य, बाहुबली जनमान्य प्रणम्य। ऋ.पृ.-137. इस प्रकार हम देखते हैं कि कवि ने जहां परंपरागत छंदो का प्रयोग महाकाव्य में किया है, वहीं पर समान अथवा असमान मात्राओं से युत छंदों का भी निरूपण किया है। छंद कविता के बाह्य परिधान हैं। इनकी संगति से कविता में सस्वरता, लयात्मकता का पूर्ण रूपेण विकास हुआ है। पिंगल शास्त्र के अनुसार 'आठ गणों में मगण, नगण, मगण, यगण, शुभगण है और शेष चार (जगण, रगण, सगण, तगण) अशुभ। ऋषभायण महाकाव्य का प्रारंभ 'सलिल सत्य है, तहिन सत्य है' चरण से होता है। गणनियम के अनुसार 'प्रारम्भिक शब्द 'सलिल' में नगण (iii) है, जो शुभ एवम् फलदायी है। » सूक्ति सूक्ति का अर्थ होता है - उत्तम उक्ति या कथन। प्राचीनकाल से ही 'सुभाषित' श्लोक के रूप में सूक्तियों का प्रचलन माना जाता है। ये सूक्तियाँ जीवन के बहुविध पक्षों को सूत्रवत् प्रस्तुत करती हुयी उसके मर्म को रेखांकित करती हैं। डॉ. मीना शुक्ला के अनुसार- 'यदि व्याकरणशास्त्रीय दृष्टि से 'सुभाषित' तथा 'सूक्ति' शब्दों का विवेचन किया जाए तो अर्थ प्रायः एक ही होगा, फिर भी प्रचलन में किसी पूर्ण श्लोक अथवा कुछ वाक्यों के समूह को 'सुभाषित' संज्ञा [74]
SR No.009387
Book TitleRushabhayan me Bimb Yojna
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSunilanand Nahar
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year2010
Total Pages366
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size13 MB
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