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प्रतीकात्मक बिम्ब जहां गूढ अर्थ का सृजन करते हैं वहीं शब्द शक्तियाँ व्याच्यार्थ, लक्ष्यार्थ एवं व्यंग्यार्थ का सफल बिम्बांकन भी करती हैं।
इस प्रकार हम सकते है कि बिम्ब विधान आचार्य महाप्रज्ञ की स्वाभाविक काव्य शैली है, जिस कारण ही वे विविध बिम्बों का निष्पादन करने में सफल हो
सके हैं।
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