SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 355
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ पौराणिक मान्यता के अनुसार मृत्यु के पश्चात् जीव का कर्मानुसार पुनर्जन्म होता है। पुनर्जन्म की इस क्रिया का दृश्यांकन सागर में निरंतर 'उठती' और 'मिटती' हुई तरंग से किया गया है - लहर सिंधु में उठती-मिटती, फिर उठती फिर मिट जाती जन्म-मृत्यु की यही कहानी, जलती-बुझती है बाती। ऋ.पृ. 42 अक्षय तृतीया के पर्व को पौराणिक प्रसिद्धि इसलिए मिली कि उस दिन ऋषभदेव ने निरवद्य आहार के रूप में इक्षुरस को ग्रहण कर अपने संपूर्ण अन्तरायों का शमन किया था। उनका चित्त वैसे ही निर्मल हो गया था जैसे जलद के प्रभाव से पृथ्वी की मलिनता धुल जाती है - पारणा दिन पर्व पर, अक्षय तृतीया हो गया साधना के विघ्नमल को, जलद जैसे धो गया। ऋ.पृ. 132 इस प्रकार पौराणिक संदर्भो से जुड़ी मान्यताओं तथा महान पुरूषों के आलोक में भाव को और भी सबल बनाने के लिए इस कोटि के बिम्बों का सृजन किया गया है। --00-- |3351
SR No.009387
Book TitleRushabhayan me Bimb Yojna
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSunilanand Nahar
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year2010
Total Pages366
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size13 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy