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________________ का प्रयोग कर कवि ने भरत की प्रतीक्षा में पलक पाँवड़ें बिछायी जनता की प्रसन्नता का चित्रण किया है - मन सरवर में जब शतदल खिल जाता है, तब सघन तमस का आसन हिल जाता है। ऋ.पृ. 186 'बिन्दु' और 'रेखा' प्रतीक से क्रमशः निर्बल और सबल की सामर्थ्य शक्ति का बिम्बांकन किया गया है, जिसमें 'बिन्दु' के रूप में निर्बल नरेशों तथा 'रेखा' के रूप में बाहुबली की ओर संकेत किया गया है। भरत और बाहुबली की शक्ति सामर्थ्य को ध्यान में रखकर मंत्री भरत से कहता है कि - बाहुबली को जीतने का, स्वप्न क्यों देखा नहीं ? शेष सब नृप बिंदु केवल, एक है रेखा यही। ऋ.पृ. 225 'कूप' प्रतीक का प्रयोग एक निश्चित सीमा अथवा सीमित परिवेश को व्यक्त करता है। इस प्रतीक का बिम्ब भरत के दूत के द्वारा बाहुबली के लिए व्यवहृत किया गया है - सिंधु का विस्तार अपना, कूप आखिर कूप है। ऋ.पृ. 239 'गज' और 'मृगपति' के प्रतीकात्मक बिम्ब से क्रमशः भरत और बाहुबली को चित्रित किया गया है। भरत आत्मचिंतन करते हैं कि हाथी स्थूलकाय शक्तिशाली होते हुए भी मृगपति से सदैव भयभीत रहता है है स्थूलकाय गज किन्तु भीत मृगपति से, भाई के बल को तोला है मति-गति से। ऋ.पृ. 246 'चींटी' और 'गज' का प्रतीकात्मक बिम्ब क्रमशः अशक्त (भरत की सेना) और सशक्त (बाहुबली) के लिए किया गया है। अपनी सेना को भरत की सेना के समक्ष पलायन करता हुआ देख बाहुबली जब युद्ध के लिए तप्तर होते हैं, तब उनका पुत्र सिंहरथ उन्हें यह कहकर रोक देता है कि चींटी के समान निर्बल सेना पर गज के समान आपका अभियान उचित नहीं है - प्रणत सिंहस्थ बोला, यह तो, चींटी पर गज का अभियान। ऋ.पू. 254 [324]
SR No.009387
Book TitleRushabhayan me Bimb Yojna
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSunilanand Nahar
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year2010
Total Pages366
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size13 MB
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