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________________ कर आदरपूर्वक ऋषभ के श्री चरणों में शीश झुकाकर प्रसन्नता जाहिर की - सम्पन्न कार्य कर हृष्ट-पुष्ट हो आया, प्रभुवर चरणों में सादर शीष झुकाया। ऋ.पृ. 56 असहयोग अथवा अलग होने के अर्थ में 'हाथ खींचना' मुहावरे का प्रयोग होता है। युगलों को उस समय अत्यधिक झटका लगा जब उनकी आवश्यकताओं को पूरा करने में कल्पवृक्षों ने सहसा अपना हाथ खींच लिया' - एकाएक लगा झटका जब, कल्पवृक्ष ने खींचा हाथ। ऋ.पृ. 61 असम्भव अथवा अप्राप्ति के लिए 'अम्बर पुष्प' मुहावरे का प्रयोग बिम्बात्मक है। भिक्षा लाभ के लिए चक्रमण कर रहे ऋषभ के मनोभावों को युगलों द्वारा न समझ सकने के कारण उन्हें भिक्षा लाभ अम्बर पुष्प की ही भाँति प्रतीत होने लगा पर्यटन जनपद घरों में, भिक्षु का चलता रहा, किन्तु भिक्षा लाभ अम्बर, पुष्प बन फलता रहा। ऋ.पृ. 119 दायित्वपूर्ण होने के पश्चात् व्यक्ति मन से हल्का हो जाता है। इस अर्थ का बिम्बांकन 'सिर का भार उतर जाना' मुहावरा से किया गया है। अयोध्या के शकटानन उद्यान में उपस्थित ऋषभदेव का दर्शन माँ मरूदेवा को कराकर भरत अपने सिर से उलाहना का वह भार उतार देना चाहते हैं जिसे आए दिन मरूदेवा दुहराया करती थीं - मंदर पर्वत से भी ज्यादा उपालम्भ का होता भार एक अकल्पित गूंज उठा स्वर, सिर का भार उतर जाए। ऋ.पृ. 153 गिरिजनों का शर वर्षा से हताहत् भरत की सेना इतनी व्याकुल व विचलित है कि वह रण क्षेत्र से 'मुख मोड़ने के लिए विवश है। 'पलायन' करने के अर्थ में इस मुहावरे का बिम्ब प्रस्तुत किया गया है। गिरिजन की शर-वर्षा से हत, सेना ने मुख मोड़ा। ऋ.पृ. 171 अत्यधिक प्रिय पात्र के लिए 'नयनों का तारा' मुहावरे का प्रयोग होता रहा है। राजनीति और युद्ध में स्वार्थ साधना को ही महत्व दिया जाता है। बारह वर्षों तक 316
SR No.009387
Book TitleRushabhayan me Bimb Yojna
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSunilanand Nahar
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year2010
Total Pages366
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size13 MB
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