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________________ अध्याय-षष्ठम् अभिव्यक्ति विषयक बिम्बों का चित्रण कवि अपनी अनुभूति की बिम्बात्मक अभिव्यक्ति के लिए विविध उपादानों का आश्रय लेता है। मुहावरे, लोकोक्ति, प्रतीक, शब्दशक्ति, मानवीकरण आदि उपकरण जहाँ कथ्य को प्रभावशाली बनाते हैं, वहीं कवि के कलात्मक उत्कर्ष तथा शिल्पगत वैशिष्ट्य की उद्घोषणा भी करते हैं। काव्य शिल्प के क्षेत्र में कवि किस सीमा तक अभिव्यक्ति पद्धतियों का अनुसरण करता है तथा किस सीमा तक नवीनता का समाहार करता है, इसका पूर्ण परिज्ञान अभिव्यक्ति के आधार पर वर्गीकृत उसके काव्य-बिम्बों के माध्यम से होता है। ऋषभायण में आचार्य महाप्रज्ञ ने जिन अभिव्यक्ति के साधनों का प्रयोग बिम्ब निर्माण में किया है, वे निम्नलिखित है - 1. अभिधा 2. लक्षणा ___ व्यंजना मुहावरे लोकोक्ति प्रतीक मानवीकरण 8. पौराणिक प्रसंग 9. महापुरूष चरित्र विषयक बिम्ब अभिधा – अभिधा शब्द शक्ति के माध्यम से सशक्त बिम्बों के सृजन में आचार्य महाप्रज्ञ को खूब सफलता मिली है। यौगलिक जीवन की प्रारंभिक अवस्था, ऋषभ सुमंगला नामकरण, ऋषभ विवाह, राज्य व्यवस्था, समाज रचना का उपक्रम, शिल्प और कर्म का विकास, परिवार संस्था का संजीवन, पात्रों के संवाद, कच्छ महाकच्छ द्वारा प्रभु से प्रार्थना, आहार के लिए चक्रमण, नमि विनमि का वार्तालाप, 12961
SR No.009387
Book TitleRushabhayan me Bimb Yojna
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSunilanand Nahar
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year2010
Total Pages366
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size13 MB
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