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________________ ... 10. निष्कर्ष एवं अध्याय समीक्षा ऋषभायण में ऐन्द्रिय संवेदनाओं के आधार पर चाक्षुस, श्रोत, घ्राण, रस स्पर्श, एकल, संश्लिष्ट, गतिज एवं स्थिर बिम्बों का निरूपण वैविध्य पूर्ण है। कवि ने भावानुरूप धरातलीय, जलीय एवं आकाशीय बिम्बों का चयन किया है। धरातलीय बिम्बों के अंतर्गत पर्वत, वृक्ष, लौह, प्रस्तर, वन, उद्यान, पशु, पक्षी, कीट, जलीय बिम्बों के अंतर्गत सागर, सरिता, लहर, निर्झर, जलचर, ज्वार, कमल तथा आकाशीय बिम्बों के अंतर्गत बादल, विद्युत, सूर्य, तारा, कुहेलिका आदि का मर्मस्पर्शी बिम्ब प्रस्तुत किया गया है। इसके अतिरिक्त दिन-रात्रि, मणि, अमृत, विष जैसे अनेक बिम्ब प्रस्तुत किए गए हैं, जो सम्बन्धित भावों के स्पष्टीकरण में कारगर सिद्ध हुए हैं। यों देखा जाए तो सभी संवेदनाएँ किसी न किसी स्तर पर एक दूसरे से जुड़ी रहती हैं। इसीलिए यदि कोई संवेदना कहीं अपना चाक्षुष प्रधान बिम्ब प्रस्तुत करती है तो अन्यत्र आस्वाद्य अथवा ध्वनिमय अथवा स्पर्शजन्य बिम्ब भी प्रस्तुत करती है। इसी प्रकार एकल बिम्ब संश्लिष्ट के रूप में तथा संश्लिष्ट बिम्ब एकल बिम्ब के रूप में भी प्रयुक्त हुए हैं। गतिज एवं स्थिर बिम्ब दृश्य बिम्ब के ही अंतर्गत आते हैं। शोधार्थी द्वारा संदर्भित बिम्बों की विवेचना उसके गुणधर्म व स्वभाव के आधार पर की गयी है। साधनात्मक क्षेत्र में कवि ने विविध मुद्राओं का बिम्ब सृजित किया है जिसमें साधक के रूप में कवि की निजता भी झलकती है। भावानुरूप बिम्बों का चयन वही कवि कर पाता है जिसका वस्तु सत्य से सर्वाधिक जुड़ाव होता है। वस्तु के गुणधर्म के सापेक्षिक ज्ञान के बिना भावों की संगति नहीं बैठ पाती। क्योंकि सूक्ष्म से सूक्ष्म भावों का मूतन स्थूल धरातल पर होता है। इसलिए संबंधित भावों के बिम्बांकन के लिए वस्तु, पदार्थ या स्थिति का ज्ञान आवश्यक होता है। इस रूप में आचार्य महाप्रज्ञ एक सिद्धहस्त साहित्यकार हैं। वस्तुतः ऋषभायण आदिम मानव के आलोक में एक आध्यात्मिक ग्रंथ है जिसमें समाज, परिवार, राजनीति, मनसचेतना एवं अध्यात्म से संबंधित बहुआयामी बिम्ब प्रस्तुत किए गए हैं। इस प्रकार संक्षेप में कहा जा सकता है कि ऐन्द्रिय बिम्बों के नियोजन में कवि को पूर्णरूपेण सफलता मिली है। --00-- 2331
SR No.009387
Book TitleRushabhayan me Bimb Yojna
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSunilanand Nahar
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year2010
Total Pages366
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size13 MB
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