________________ 138. अज्ञेय, आत्मनेपद, पृष्ठ-45. 139. अज्ञेय काव्य : सौंदर्य चेतना के बहिरंग आयाम, पृष्ठ-243. 140. वही, पृष्ठ-241. 141. आधुनिक हिन्दी कविता में बिम्ब, विधान, केदारनाथ सिंह, पृष्ठ-28, 31. 142. भाषा और संवेदना-रामस्वरूप चतुर्वेदी। फिलासफी इन ए न्यू की - एक.के.लैंगर, पृष्ठ-32. 144. चिंतामणी, भाग-2, पृष्ठ-25. 145. सायक्लाजी टाईम्स, पृष्ठ-291. 146. अज्ञेय काव्य का शास्त्री अध्ययन, डॉ. फुलवंत कौर, पृष्ठ-239 147. साहित्य समीक्षा के पाश्चात्य मानदंड, डॉ. राजेन्द्र वर्मा, पृ.-121 148. आधुनिक हिन्दी कविता में बिम्ब विधान, केदारनाथ सिंह पृ.-15. 149. शिल्प और दर्शन, पंत. पृ.-14 150. चिंतामणि भाग-1, पृ.-15 151. आधुनिक हिन्दी कविता में बिम्ब विधान पृ. 13 152. तीसरा तार सप्तक, सं. अज्ञेय, पृ. 116 153. नदी की बाँक पर छाया, अज्ञेय, पृ. 49 154. चाँद का मुँह टेढ़ा है - मुक्तिबोध पृ. 27 155. नये कवियों के मान्य शिल्प सिद्धांत, दिविक रमेश, पृ. 309 156. विचार बोध-केदारनाथ अग्रवाल, पृ. 235 157. आधुनिकता कविता में बिम्ब विधान, केदारनाथ सिंह, पृ. 89 158. समय-समय पर केदारनाथ अग्रवाल, पृ. 191 159. कवियों के कवि शमशेर - रंजना अरगड़े, पृ. 166 160. जंगल का दर्द, पृ. 42 सर्वेश्वर दयाल सक्सेना 161. विचार बोध - केदारनाथ अग्रवाल पृ. 235 162. आलोचना जुलाई से सितम्बर 1968 पृ. 74 163. ज्ञानोदय, सितम्बर 1963 पृ. 13 164. कविता के नये प्रतिमान - डॉ. नामवर सिंह, प. 133 [167]