________________ .. (1) सजीव बिम्ब और (2) खण्डित बिम्ब स्केल्टन ने अपनी प्रसिद्ध पुस्तक 'पोएटिक पैटर्न' में काव्यात्मक बिम्बों के कुछ इस प्रकार भेद किए हैं-सरल, तात्कालिक, विकीर्ण, अमूर्त, संयुक्त मिश्र, संयुक्त अमूर्त, मिश्र अमूर्त, अमूर्त संयुक्त और अमूर्त मिश्र-यह विभाजन अपने में उलझा हुआ है जिस कारण उसके स्वरूप, सीमा तथा क्षेत्र का निर्धारण असम्भव हो जाता है। (174) डॉ.शम्भूनाथ चतुर्वेदी के अनुसार बिम्ब दो प्रकार के होते हैं :(क) ऐन्द्रिय बिम्ब और (ख) मानस बिम्ब (rs) डौ. कैलाश बाजपेयी ने बिम्बों के छह प्रकार माना है : दृश्य बिम्ब, वस्तु बिम्ब, भाव बिम्ब, अलंकृत बिम्ब, सान्द्र बिम्ब, और विकृत बिम्ब (176) डॉ. उमाकान्तगुप्त ने बिम्बों का वर्गीकरण तीन रूपों में करते हुए उसके भेद भी सुनिश्चित किए हैं।() (1) दृश्य बिम्ब - (क) स्थिर, (ख) गतिशील, (ग) व्यापार विषयक (2) मानस बिम्ब-(क) भावानुमोदित, (ख) विचारोनुमोदित, (ग) वैज्ञानिक एवं यांत्रिक (3) संवेद बिम्ब-(क) स्पर्श संवेद, (ख) घ्राण संवेद, (ग) श्रवण संदेव (घ) वर्ण संवेद, (ड) आस्वाद्य संवेद उपर्युक्त सभी वर्गीकरण अपूर्ण एवं अधूरे हैं। बिम्बों का संसार विस्तृत है जिसकी गहन पड़ताल आवश्यक है। डॉ. नगेन्द्र ने बिम्बों की विशद चर्चा करते हुए स्थूल रूप से उसके प्रकारों का उल्लेख निम्नलिखित वर्गों में किया है (178) :वर्ग 1- दृश्य (चाक्षुष), श्रव्य (श्रौत), स्पर्ध्य, घ्रातव्य और रस्य (आस्वाद्य) वर्ग 2- लक्षित और उपलक्षित वर्ग 3- सरल और संश्लिष्ट [1511