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________________ - निष्कर्षतः काव्य में बिम्बों के प्रयोग ने भारतीय एवं पाश्चात्य समीक्षा को एक नवीन आकाश दिया है। केवल कवियों ने ही नहीं बल्कि आलोचकों ने भी बिम्ब को एक आधार देने में अपना महत्वपूर्ण सहयोग दिया है। नये कवियों ने तो बिम्ब विधान को एक महत्वपूर्ण शैली मानते हुए, जो अलंकार की तरह ऊपरी न होने के कारण कविता का जरूरी हिस्सा माना है। बिम्ब के सृजन में वे कवि के भावात्मक तादात्मय या उसकी गहरी अनुभूति को अनिवार्य मानते हैं। मात्र शब्दिक चित्र की अपेक्षा वे बिम्ब का रागपूरित होना जरूरी समझते हैं। उनके अनुसार ऐन्द्रियता बिम्ब की पहली शर्त हैं। बिम्ब के प्रति अतिशय मोह और चमत्कार प्रवृत्ति का वे विरोध करते हैं। सिद्धांततः वे बिम्ब जन्य दुरूहता को उचित नहीं मानते किंतु युगीन विवशताओं के कारण नये-नये बिम्बों की योजना आवश्यक समझते हैं / (168) --00-- 11491
SR No.009387
Book TitleRushabhayan me Bimb Yojna
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSunilanand Nahar
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year2010
Total Pages366
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size13 MB
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