________________
(स्वर 11 माह की आयु वाला) मुझे पढ़ते समय, मंत्रोच्चार करते समय, देखता व शांत भाव से हलचल बंद कर केवल निहारता रहता ऐसे चैतन्य स्वर के मस्ती की थिरकन, मेरे हृदय के उत्साह को पुलकित करता रहता। उसे भी मेरा नमन् ।
सरदार शहर निवासी नागपुर प्रवासी सगा जी सा.छत्रमल जी दफ्तरी सपरिवार साध गुवाद के पात्र है, जिन्होंने अपनी पुत्री सौ. सोनिका का हाथ मेरे पुत्र के हाथ सौंप मुझे मानसिक समाधि बनाये रखने में सहयोग दिये। कुलेश्वर प्रसाद साहू, टायपिस्ट बिलासपुर (छ.ग.) की इस शोध प्रबंध में सहयोग के लिए आभारी हूँ। गजेन्द्र साहू का सहयोग भी सराहनीय रहा।
__ इस शोध प्रबंध को पूरा करने में जिन-जिन विद्वानों के ग्रंथों व लेखों से सहायता मिली है, उन विद्वानों के प्रति मैं श्रद्धावनत हूँ। दसों दिशाओं को प्रणाम। सभी भव्य व पूज्यात्माओं को प्रणाम। कमियाँ मेरी है, विशेषताएँ गुरूजनों की, सुष्टि जनों की। प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष आंशिक रूप से जो भी सहयोगी बने सबके प्रति कृतज्ञता। शोध प्रबंध यदि किंचित भी हिन्दी जगत की समृद्धि में सहायक बन सकी, तो मेरा श्रम सार्थक होगा। इसी अपेक्षा के साथ।
दिनांक-01/02/2010
शोधार्थी सौ. सुनीला नंद नाहर
मेहकर (महा.)