________________ - शब्दालंकार (अनुप्रास, यमक, श्लेष आदि) में शाब्दिक चमत्कार प्रस्तुत होता है जो वर्ण की एकरूपता से नाद-सौंदर्य प्रस्तुत करता है। समान वर्ण अपनी नादात्मकता के कारण शब्द संगीत की योजना करते हैं किंतु ये सर्वथा बिम्ब ग्रहण में सहायक हों, कहा नहीं जा सकता परंतु यह कहा जा सकता है कि अनुप्रास में वर्णों की कुशल योजना से वातावरण को सम्मूर्तित करने की सामर्थ्य होती है किंतु इसका प्रयोग कवि की कुशलता पर निर्भर है / (130) अस्तु निष्कर्ष रूप में कहा जा सकता है कि बिम्ब और अलंकार का घनिष्ठ संबंध है। सम्मूतन की स्थिति दोनों में है। सादृश्यमूलक अलंकार समानता असमानता के आधार पर तुलनात्मक रूप में रूप चित्र निर्मित करते हैं, तो बिम्ब ऐन्द्रियता के आधार पर विविध क्रियाकलापों को अंकित करते हैं। आज बिम्ब का उपयोग काव्य विधा की विशिष्ट शैली के रूप में हो रहा है, जबकि अलंकार कथन को चारू एवं प्रभावशाली बनाने में प्रयुक्त होते रहे हैं। --00-- 11361