________________ बिम्ब और कवि आनन्द वर्धन ने लिखा है कि "काव्य संसार अपार होता है, उसका पार नहीं पाया जा सकता। इस संसार का प्रजापति कवि ही हुआ करता है और एकमात्र कवि ही वह जैसा चाहता है, इस विश्व को वैसा ही बनना पड़ता है।65) कवि का पूरा कार्य व्यापार शब्द पर आधारित होता है, शब्द अर्थ की अभिव्यक्ति का सशक्त माध्यम है। शब्द अपने लक्षित अथवा व्यंजित रूप में जितना ही सधा अथवा शोध हुआ होगा, उसका प्रभाव उतना ही गहरा पड़ेगा। सच तो यह है कि कवि की शब्द-सृष्टि ही अर्थ-सृष्टि है। यहाँ शब्द और अर्थ मिट्टी और घट के समान कभी पृथक नहीं होते 16) ___ कवि द्वारा देखी, सुनी अथवा अनुभूत सत्य वस्तुओं का चित्रण हमारे हृदय में भावों को जगाने में समर्थ होते हैं किसी वस्तु के साहचर्य के साथ उसके प्रति मोह पैदा होता है और परिचय की घनिष्टता में ही भावानुभूति छिपी रहती है |(67) काव्य बिम्ब शब्द और अर्थ के माध्यम से हमारे समक्ष उपस्थित होते हैं। कवि अपनी समृद्ध भावना और कल्पना के द्वारा इन बिम्बों को हमारे सामने उपस्थित करता है। इस तरह काव्य बिम्ब के निर्माण में सर्जनशील कल्पना और गहरी रागात्मकता कारण स्वरूप हुआ करते हैं। डॉ.कृष्णचन्द्र वर्मा के शब्दों में काव्य-बिम्ब शब्दार्थ के माध्यम से कल्पना द्वारा निर्मित एक ऐसी मानस छवि है, जिसके मूल में भाव की प्रेरणा रहती है।68) समर्थ एवम् ऊर्जावान कवि में कल्पना, भावना, वासना एवम् अनुभूति की गहनता वस्तु सत्य का हूबहू वैसा ही बिंबाकन करती है, जैसा भाव कवि के मानस पटल पर अंकित होता है जैसे : बीज वृक्ष बन सकता, बनता, जब होता उसका प्रस्फोट / लेता है आकार पराक्रम, होती है जब उस पर चोट। + + + 1116