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द्वितीय अध्याय
बिम्ब का स्वरूप > बिम्ब का अर्थ :
बिम्ब अंग्रेजी शब्द 'इमेज'का हिन्दी पर्याय है। 'इमेज' का कोषगत अर्थ है- मानसिक चित्र या विचार, उपमा, रूपक, चित्र, मूर्ति, प्रतिमा, बिम्ब, प्रतिबिम्ब, प्रतिरूप), प्रतिकृति, कल्पना या स्मृति में निर्मित चित्र या प्रतिकृति जिसके लिए दृश्य होना आवश्यक नहीं हैं।9) हिन्दी शब्दकोश में बिम्ब के लिए प्रतिबिम्ब, छाया, कमण्डलु, प्रतिमूर्ति, सूर्य या चंद्रमा का मण्डल, आभास एवं झलक अर्थ का उल्लेख किया गया है।) इस अर्थ में किसी वस्तु, पदार्थ अथवा स्थिति का छायांकन जब मस्तिष्क के स्मृति पटल पर अथवा हृदय से स्पर्शित होता है तब उस स्मृति सत्य को बिम्ब कहते हैं।
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बिम्ब की परिभाषा :
मानव मनीषा अपने चिंतन और दर्शन से ज्ञान-विज्ञान की अजस्त्र धारा एक छोर से दूसरे छोर तक बहाती रही है। कभी पूर्व का ज्ञान-विज्ञान पाश्चात्य को आप्लावित करता रहा है तो कभी पाश्चात्य की ज्ञानधारा पूर्व को नहलाती रही है। विश्वस्तर पर साहित्य की विविध विधाओं की सुरभि का प्रसार कवियों एवं लेखकों की हृदय, मन, बुद्धि का विस्तार ही है अथवा कवि कल्पना, भावना, विचारणा की वह धार है जो बिम्ब रूप में मानस जगत में साकार अथवा धूमिल संसार रचती है।
बिम्ब' का संपूर्ण कार्य व्यापार अन्तर्जगत से होता है। बाह्य जगत की स्थिति, संवेदनाएँ, लोकव्यवहार, परिवार, समाज आदि के कार्यो या दृश्यों का काव्य में बिम्ब के रूप में उद्घाटन एक जटिल किन्तु सहज प्रक्रिया है। पाश्चात्य जगत
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