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रात्रिभोजन के संबंध में रात्रिभोजन का त्याग मोक्षमार्ग के पथिक के लिए तो आवश्यक है ही, परंतु उसके आधुनिक विज्ञान-अनुसार भी अनेक लाभ हैं। जैसे कि रात्रि नौ बजे शरीर की घड़ी (BODY CLOCK) अनुसार पेट में रहे हुए विषमय तत्त्वों की सफाई का (DETOXIFICATION) समय होता है, तब पेट यदि भरा हुआ हो तो शरीर वह कार्य नहीं करता (SKIP करता है) अर्थात् पेट में कचरा बढ़ता है परंतु जो रात्रिभोजन नहीं करते, उनका पाचन नौ बजे तक हो जाने से उनका शरीर विषमय तत्त्वों की सफाई का कार्य भले प्रकार से कर सकता है। दसरा, रात्रि में भोजन के पश्चात दो से तीन घण्टे तक सोना निषिद्ध है और इसलिए जो रात्रि में देर से भोजन करते हैं, वे देर से सोते हैं परंतु रात्रि में ग्यारह से एक बजे के दौरान गहरी नींद (DEEP SLEEP) लीवर की सफाई और उसकी नुकसान भरपाई (CELL REGROWTH) के लिए अत्यंत आवश्यक है। जो कि रात्रिभोजन करनेवाले के लिए शक्य नहीं है। इसलिए यह भी रात्रिभोजन का बड़ा नुकसान है। आरोग्य की दृष्टि से इसके अतिरिक्त भी रात्रिभोजन त्याग के दूसरे अनेक लाभ हैं। ____ आयुर्वेद, योगशास्त्र और जैनेतर दर्शन के अनुसार भी रात्रिभोजन निषिद्ध है। जैनेतर दर्शन में तो रात्रिभोजन को मांस
३६ * सुखी होने की चाबी