________________
नमस्कार मंत्र-अर्थसहित णमो अरिहंताणं - त्रिकालवर्ती तीर्थंकर प्रमुख अरिहंत
भगवंतों को समय-समय की वंदना
होओ! णमो सिद्धाणं - त्रिकालवर्ती सिद्ध भगवंतों को
समय-समय की वंदना होओ! णमो आयरियाणं - त्रिकालवर्ती गणधर प्रमुख आचार्य
भगवंतों को समय-समय की वंदना
होओ!
णमो उवज्झायाण - त्रिकालवर्ती उपाध्याय भगवंतों को
समय-समय की वंदना होओ! णमोलोएसव्व साहूणं - त्रिकालवर्ती साधु भगवंतों को
समय-समय की वंदना होओ! एसोपंच नमोक्कारो - यह पंच नमस्कार मंत्र, सव्व पाव पणासणो - सब पापों का नाश करनेवाला है मंगलाणंच सव्वेसिं - सर्वमंगलों में पढमं हवई मंगलं - उत्कृष्ट मंगल है।
पंच परमेष्ठी वंदन श्लोक अहंतों भगवंत इंद्रमहिताः, सिद्धाश सिद्धिशिताः आचार्या, जिनशासनोन्नतिकरा:, पूज्या उपाध्यायका। श्री सिद्धांत सुपाठका मुनिवरा, रत्नत्रयाराधकाः पंचैते परमेष्ठिन प्रतिदिन:, कुर्वन्तु नो मंगलम्।