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श्री महावीराय नमः
सुखी होने की चाबी
(नित्य चिंतन सहित)
लेखक : C.A. जयेश मोहनलाल शेठ (बोरीवली) B.Com., E.C.A.
अर्पण : माता- पूज्य कांताबेन तथा पिता - पूज्य स्वर्गीय मोहनलाल नानचंद शेठ को
जो जीव, राग-द्वेषरूप परिणमा होने पर भी, मात्र शुद्धात्मा में (द्रव्यात्मा में स्वभाव में) ही 'मैंपना' (एकत्व) करता है और उसका ही अनुभव करता है, वही जीव सम्यग्दृष्टि है
अर्थात् यही सम्यग्दर्शन की विधि है।
प्रकाशक : शैलेश पूनमचंद शाह