SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 28
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ जीव:- संसार में पाँच प्रकार के जीव निवास करते हैं। डूंधा जीव चूंधा जीव सूंधा जीव ऊंधा जीव धूंधा जीव डूंधाजीव:- जिनका कर्म - कालिमा रहित अगम्य, अगाध, और वचन-अगोचर उत्कृष्ट पद है वे सिद्ध भगवान डूंधा जीव हैं। चूंधा जीव:- चूंधा जीव चतुर हैं और मोक्ष का साघक हैं। जो उदास है जगत सौं, गहै परम रस प्रेम। सो चूंधा गुरू के वचन, चूंधे बालक जेम।। अथार्त,जो संसार से विरक्त होकर आत्म अनुभव का रस सप्रेम ग्रहण करता है और श्री गुरू के वचन बालक के | समान दुग्धवत् चूसता है वह चूंधा जीव है।। चूंधा साधक मोख कौ, करै दोष दुख नास। ח by V अथार्त, चूंधा जीव मोक्ष का साघक हैं, दोष और दुखों का नाशक है, संतोष से परिपूर्ण रहता है, उसके गुण वर्णन करता हूँ ।। लहै मोख संतोष सौं, वरनौं लच्छन तास।। कृपा प्रसम संवेग दम आस्तिभाव वैराग्य। ये लच्छन जाके हियै सप्त व्यसन कौ त्याग।। अथार्त, दया, प्रशम ( कषायों की मंदता), संवेग (संसार से भयभीत), इन्द्रियों का दमन, आस्तिभाव (जिन वचन पर श्रद्धा), वैराग्य और सप्तव्यसन का त्याग ये चूंधा अथार्त् साधक जीव के चिन्ह हैं। सूंधा जीव:[:- जो गुरू के वचन प्रेमपूर्वक सुनता है और ह्रदय में दुष्टता नही है-भद्र है, पर आत्म स्वरूप को नही पहिचानता ऐसा मन्द कषायी जीव सूंधा है। ऊंधा जीव :- जिसे शास्त्र का उपदेश तो अप्रिय और विकथाऐं प्रिय लगती हैं वह विषयाभिलाषी, द्वेषी क्रोधी और अधर्मी जीव ऊंधा है। धूंधा जीव:- वचन रहित, श्रवण रहित, मन रहित, अव्रती, अज्ञानी और धोर संसारी जीव धूंधा है। डूंगा जीव प्रभु हैं, सूंधा शुद्ध रूचिवंत हैं, ऊंधा दुबुद्धि और दुखी है, धूंधा महा अज्ञानी और चूंधा जीव मोक्ष का पात्र है।
SR No.009383
Book TitleMokshmarg Ek Adhyayan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRajesh Jain
PublisherRajesh Jain
Publication Year
Total Pages39
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy