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________________ मंन्त्र, यन्त्र और तन्त्र मुनि प्रार्थना सागर नीम, लिसोड़ा, केला और सर्प की कांचली की बनाई धूप को योनि में देने से कन्या भी रजोवती हो जाती है। 4. 5. 1. 2. 3. 4. 5. 6. 7. 8. 9. 10. स्वास्थ्य अधिकार 11. कबूतर की बीट को शहद के साथ पीने से स्त्री रजस्वला हो जाती है । (164) ऋतु धर्म नष्ट के लिए ऋतु धर्म नष्ट के लिए- अंजन और आंवले के पुष्प के कल्क को ठण्डे पानी के साथ ऋतुकाल में पीने से मृगाक्षी (स्त्रियों) का गर्भ व ऋतु दोनों ही नष्ट हो जाते हैं । सफेद काली मिरचों के चूर्ण को गुड़ में मिलाकर ऋतुकाल के समय जल के साथ पीने से स्त्रियों के ऋतुधर्म नहीं होता और गर्भ भी नहीं रहता है। ऋतुकाल के समय जपा पृनून (कुड़हल के फूल) कांजी के साथ पीसकर पीने से गर्भ नहीं रहता और न ऋतुधर्म भी होता है। गेरू, वायविडंग, काली मिर्च को बराबर लेकर ऋतु के समय पीने से अथवा इंदवल्ली (इंद्रायण) काली मिरच को पीने से गर्भ एवं ऋतु धर्म नहीं रहता। सफेद सरसों का चूर्ण और तेल को ऋतु काल के दिनों में पीने से स्त्री का ऋतुधर्म बंद हो जाता है। यदि ऋतु काल में पुरुष से न मिलती हुई स्त्री चार तोले गुड़ को प्रतिदिन खावे तो उसे जन्मभर सन्तान नहीं होवे । जो नमक के टुकड़े को तेल के साथ चुपड़कर रात के अन्त में गर्भाशय के मुख में रखती है तो उसके कभी भी गर्भ नहीं रहता है । साथ खाती है वह निश्चय जो रजस्वला स्त्री कनेर के बीजों को पीसकर मक्खन से ही वंध्या हो जाती है। मासिक धर्म दूर हेतु :- जिन स्त्रियों को मासिक धर्म की समस्या है, उन्हें बेला पुष्प की कलियाँ चबाने से राहत मिलती है। सरसों, चावल, समान भाग और सबकी बराबर खांड मिला दूध चावल के साथ सेवन करने से रजोधर्म नष्ट हो जाता है। जो स्त्री कांचिका (सौ वीर) के साथ जवे के फूल कोमल कर ऋतु में पीती हैं तो वह मासिक से नहीं होती है, यदि हो भी जावे तो गर्भ धारण तो कभी भी नहीं करती है। (165) गर्भ धारण करना ५ १. ऋतु के समय में असगन्ध का काढ़ा बनाकर गाय का घृत मिलाकर और दूध से दिन तक लेवें तो स्त्री गर्भ धारण करें । 589
SR No.009381
Book TitleSwasthya Adhikar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPrarthanasagar
PublisherPrarthanasagar Foundation
Publication Year2011
Total Pages103
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size1 MB
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