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स्वास्थ्य अधिकार
मन्त्र,यन्त्र और तन्त्र
मुनि प्रार्थना सागर
4. रक्तार्श पर- चावल के धोवन के साथ अपामार्ग (चिरचिटा, लटजीरा, ओंगा,
शिखरी, अघेड़ों, पुठकंडा चिचड़ा भी कहते हैं) के पाँच बीजों को कुछ दिनों तक लेने से रक्तार्श जड़ मूल से समाप्त हो जाता है। रक्त प्रदर के लिए - आम की गुठली को आग में भूनकर खाने से फायदा हो जाता है। रोत और लाख का चूर्ण 4.8 ग्राम की मात्रा में दूध से पीने से रक्त प्रदर मिट जाता है।
(161 ) रुका हुआ मासिक धर्म खुलने के लिए १. माला कांगनी, राई, विजयसार और वच इनको महीन पीसकर ५ दिन तक ठन्डे पानी
से लेने से स्त्री-धर्म होय तथा बान्झपन मिटे। २. तिल खाने से अथवा उड़द खाने से, तथा दही खाने से स्त्री धर्म हो जाता है।
(162) मासिक धर्म पुनः होय 1. मासिक धर्म पुनः होय-तिल की जड़, ब्रह्मदण्डी की जड़, मुलहठी, कालीमिर्च
और पीपल इन सबको जौ कुट का काढ़ा बनाकर पीने से बन्द मासिक धर्म फिर से
होने लगता है। 2. इंद्रायण की जड़ का धुआं देने से रुका मासिक धर्म शुरू हो जाता है। 3. मासिक रक्तस्त्राव- दिन में ३ बार दारु हल्दी लेने से मासिक रक्त स्त्राव ठीक होगा। 4. मासिक धर्म बिगड़ने पर- अश्वगंधा चूर्ण ६ ग्राम, शक्कर ६ ग्राम जल के साथ लेने
से मासिक धर्म के समय अधिक खून का जाना बंद होता है। 5. कलिहारी की जड़ को जल में पीसकर महिलाओं का बार दिन में लेप करने से
महिलाओं का मासिक धर्म संबंधी रोग में आराम मिलता है। .6. मुलहठी की छाल के चूर्ण को 3 ग्राम चावल के धोवन में मिलाकर प्रतिदिन 3 बार दें। इससे मासिक धर्म में आराम रहेगा।
(163) रजोधर्म तुरन्त ही होने लगता 1. रज उत्पन्न के लिये- यदि कोई स्त्री शहद या गधे के मूत्र के साथ पलाश (ढाक) के
बीज पलास पापड़ा को पी ले तो उसके गर्भ उत्पन्न करने वाला रज उत्पन्न होता है। 2. यदि बिना रजवाली स्त्री बील और आक की मूल को गरम जल के साथ पिए तो
निश्चित रूप से ऋतुमति हो जाती है। 3. इमली की जड़ को पीसकर दूध के साथ पीने से स्त्रियों का रजनष्ट होकर रजोधर्म
तुरन्त ही होने लगता है।
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