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मंन्त्र, यन्त्र और तन्त्र
मुनि प्रार्थना सागर
२. ऋतु समय में पुष्य नक्षत्र में उखाड़ी हुई सफेद कंटाली की जड़ को पीसकर ८ माशा मात्रा में दूध के साथ ३ दिन पीवें तो निश्चय स्त्री गर्भ धारे।
३. सफेद कटहली की जड़ को पुष्य नक्षत्र के दिन उखाड़ लावें, फिर कन्या के हाथ से पिलवायें, तथा बछड़ा वाली गाय १ रंग की उस के दूध के साथ ऋतु समय में चौथे दिन सेवन करने से अवश्य बँध्या स्त्री के भी गर्भ रहे।
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5. गर्भ धारण हेतु - नीली अपराजिता की जड़ को कन्या द्वारा बकरी के दूध में पिसवाकर मासिक के बाद तीन दिन तक पीने से गर्भ रहता है।
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स्वास्थ्य अधिकार
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निर्गुंडी के रस में गोखरु के बीज डालकर पांच दिन तक पीने से स्त्री गर्भ धारण करती है।
10. जो स्त्री बिजोरे के बीजों को दूध में अथवा घी के साथ धीरे-धीरे पीती हैं वह तुरन्त ही गर्भ धारण कर लेती हैं।
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श्वेत पुनर्नवा की जड़ को दूध के साथ घिसकर पिलाने से स्त्रियों में गर्भ रहता है। निर्गुण्डि के रस में गोखरू के बीज डालकर सात दिन तक पीने से स्त्री गर्भ धारण करती है।
गर्भ स्तंभन - आंवला और मुलहठी को गाय के दूध के साथ पीने से गर्भ स्तंभन होता है।
गर्भधारण - ब्राह्मी, अरडूसा, गिलोय, नीम, कदम्ब के पत्तों की दलू को तेल के साथ पीने से बंध्या को भी पुत्र प्राप्त हो जाता है।
यदि तिल आक कुटकी अथवा पित पापड़ ब्राह्मी अरडूसा गिलोय को आक के स्वरस में मिलाकर बराबर नमक डालकर सेवन करने दिया जाए तो ऋतुकाल में अवश्य ही गर्भ रह जाता है।
शिवलिंगी के बीज को गुड़ के साथ गोली बनाकर ऋतुस्नान के बाद तीन दिन खा कर संभीग (मैथुन क्रिया) करने से गर्भ ठहर जाता है।
पीपल, सोंठ, कालीमिर्च और केशर इनके चूर्ण को घृत के साथ सेवन करने से बँध्या स्त्री भी गर्भ धारण करती है।
गाय के दूध में कल्क बनाते हुए मयूर शिखा तथा गाजर ऋतु के दिनों में सेवन किये जाने से बंध्यों को भी गर्भधारण करा देती है।
मसूली, लक्ष्मण, जीवा पोता और लाल बड़ के भी अंकुर को पीसकर ऋतुकाल में दूध के साथ पीने से गर्भवती हो जाती है।
16. गर्भ रहे- काक जंगा की जड़ को एक वर्ण की गाय के दूध में पीवे तो
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