________________
स्वास्थ्य अधिकार
मन्त्र,यन्त्र और तन्त्र
मुनि प्रार्थना सागर
९. अरण्डी के बीजों को सोंठ मिलाकर पीसकर दूध के साथ सेवन करने से कमर का
दर्द मिटता है। 10. कमरदर्द व जोड़ो का दर्द:- जायफल पानी में घिसकर तिल के तेल में मिलाकर गर्म
करके ठण्डा करें व कमर की मालिश करे। 11. माधवी की मूल को जल में पीसकर पान करने से स्त्रियों की कमर पतली हो जाती है।
(110) सूजन-रोग (शोध रोग) १. अडूसा और अरण्ड के पत्ते तथा अरण्ड के तेल को पानी में औटा कर बफारा देने से
हरेक अंग की सूजन उतर जाती है। २. कैर की लकड़ी घिसकर गर्म करके लेप करने से सूजन उतरती है। ३. सूजन रोग में केवल बकरी का दूध सेवन करना लाभदायक होता है। ४. बुढ़ापे में कमजोरी से सूजन आने पर चिरपोटी का लेप करें अथवा पुनर्नवा की जड़
औटाकर पीवें अथवा धमासा को पानी में उबालकर स्नान करने से सूजन बिल्कुल
उतर जाती है। ५. शरीर के किसी भी भाग की जल युक्त सूजन मिटाने के लिए इन्द्रायण का बफारा व
जुलाब देना चाहिये। ६. पीपल, सोंठ और गुड़ मिलाकर खाने से सूजन, आँव, अजीर्ण और शूल रोग मिट
जाता है। ७. बहेड़ा की मिंगी को पानी में पीसकर लेप करने से सूजन का दाह भी मिट जाता है। ८. नाभि की सूजन पर- बकरी की मिंगनी को दूध में घोलकर गर्म करके लेप करें।
(111) मृगी रोग १. आक की जड़ की छाल को बकरी के दूध में घिसकर नाक में टपकाने से मृगी मिटती है। २. ढाक की जड़ घिसकर रोग के वेग के समय नाक में टपकाने से मृगी रोग मिटता है। ३. २१ जायफलों की माला पहने रहने से मृगी रोग में फायदा होता है। ४. राई को पीसकर सूंघने से मृगी का वेग दूर हो जाता है अथवा प्याज के रस को सूंघने
से मृगी मिटती है। ५. सरसों के तेल को गौमूत्र तथा गोबर और बकरी का मूत्र चौगुना में पकाकर मालिश
करने से मृगी मिटती है। ६. सीताफल के बीजों की मिंगी पीसकर कपड़े की बत्ती में रखकर जलावें और उस धुएँ
को नाक में लेने से मृगी के समय लाभ होता है।
568