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________________ स्वास्थ्य अधिकार मंन्त्र,यन्त्र और तन्त्र मुनि प्रार्थना सागर ८. मालकांगनी के तेल में कस्तूरी चटाने से मृगी रोग मिट जाता है। ९. अरोठा को कपड़े से छान करके हमेशा सूंघने से मृगी रोग अवश्य मिट जाता है। १०. अरीठा की थोड़ी सी मिंगी मुँह में रखने से मृगी वाले रोगी को होश आ जाता है। ११. राई और सरसों को गौमूत्र में पीसकर शरीर में लेप करने से मृगी रोग मिट जाता है। १२. भेड़िया के दाँत गले में बाँधने से मृगी नहीं आती है। (112) उन्माद (पागलपन) रोग १. नीम्बू की गिरी निकालकर धूप में सुखाकर उन्माद रोगी के तकिये के नीचे रखने से ___शांति मिलती है। २. नीम्बू के रस का मस्तक पर मर्दन करने से पागलपन मिट जाता है। ३. ब्राह्मी के साथ गिलोय का क्वाथ पीने से उन्माद रोग मिटता है। ४. उन्माद मिटाने के लिये सरसों के तेल की नस्य व मालिस का प्रतिदिन प्रयोग करना चाहिये। ५. किसी मनुष्य के सिर के बाल जलाकर तिल के तेल में या रोगनगुल में मिलाकर नाक में टपकाने से पागलपन मिटता है। ६. मुर्गे के बाल जलाकर नाक में धूनी देने से उन्माद रोग मिटता है। ८. घी और कालीमिर्च पीने से बादी का पागलपन मिटता है। ९. अच्छा जुलाब देने से पित्त का उन्माद मिटता है अथवा वमन कराने से कफ का उन्माद मिटता है। १०. मेहंदी के बीजों की फाकी लेने से प्रलाप रोग मिटता है। ११. अजवाइन २.४ ग्राम दाख के साथ सेवन करने से चित्तभ्रम रोग मिटता है। १२. जवासा का क्वाथ बनाकर उसमें घृत मिलाकर पीने से उन्माद रोग मिटता है। (113) डिप्रेशन (अवसाद) दूर करने हेतु 1. डिप्रेशन (अवसाद) दूर करने हेतु :-पीपल की लकड़ी चंदन की भांति घिसकर रात्रि में मस्तक पर लगाने से डिप्रेशन समाप्त होता है। (114) मूर्छा रोग १. पीपल को पानी में घिसकर अंजन करने से मूर्छा मिटती है अथवा राई पीसकर सूंघने से मूर्छा मिटती है। २. मूर्छा वाले रोगी के शरीर पर सुई चुभाओ या खाल के बाल उखाड़ो तो मूर्छा मिट 569
SR No.009381
Book TitleSwasthya Adhikar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPrarthanasagar
PublisherPrarthanasagar Foundation
Publication Year2011
Total Pages103
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size1 MB
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