SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 54
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ स्वास्थ्य अधिकार मंन्त्र, यन्त्र और तन्त्र १. अखरोट के तेल का मर्दन करें तो हाथ-पैरों का बायण्टा मिटता है । २. अडूसे के पंचांग के क्वाथ या अवलेह के चाटने से आक्षेपक वायु और बाईण्टे मिटते हैं। मुनि प्रार्थना सागर ३. अडूसे के फूल तथा पत्तों को तेल में औटाकर उसका मर्दन करने से ऐंठन मिटती है। ४. मूली के पत्तों का रस निकालकर लगाने से सरण चलनी मिटती है। (108) चोट लगकर सूजन आने पर १. यदि चोट से गाँठ बन जाय तो गेहूँ को जलाकर बराबर गुड़ मिलाकर घृत के साथ २२ तोला तीन दिन खाने से फायदा होता है । २. यदि चोट से खून आवे तो ०.८ ग्राम फिटकरी पीसकर ५० ग्राम घृत में भून लें और शक्कर तथा आटा (मेंदा) में मिलाकर हलुआ बनावटखाने से तीन दिन में निश्चय ही आराम होगा। ३. सहेजना की पत्तियों को बराबर के तिल के तेल में पीसकर लगाने से चोट, मोच आदि में लाभदायक होता है। ( 109 ) कमर और पसली पीड़ा १. आक की जड़ को बालक के मूत्र में पीसकर लेप करके फिर कन्डे की आग से तपाने से पसली की पीड़ा मिटती है। २. पसली शूल या हर एक अंगों की बादी की शूल मिटाने के लिए अजमोद को गर्म करके जितने भाग में पीड़ा हो उतने भाग पर लगाकर बिस्तरे पर महीन कपड़ा ढँककर सुला देना चाहिये । ३. पान की जड़ १२.५ - १५ ग्राम प्रतिदिन गुड़ के हलुवे में खाने से १० - १५ दिनों में कमर दर्द मिट जाता है । ४. अलसी के तेल में सोंठ डालकर गर्म करके मर्दन करने से पीठ की शूल मिट जाती है । ५. कमर और वस्ती की शूल में नमक, अजवाइन और गेहूँ के चोकर की पोटली बनाकर सेंकने से आराम मिलता है। ६. उदर और पसली का शूल मिटाने के लिए आक की छाल को पीस कर लेप करना चाहिए। ७. चिरायता में मधु (मिश्री) मिलाकर गर्म करके लेप करने से कूबड़ापन मिट जाता है। ८. सोंठ के क्वाथ में एरण्ड का तेल मिलाकर पीने से बस्ति, कुष्ठि तथा कमर की शूल मिटती है। 567
SR No.009381
Book TitleSwasthya Adhikar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPrarthanasagar
PublisherPrarthanasagar Foundation
Publication Year2011
Total Pages103
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size1 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy