________________
स्वास्थ्य अधिकार
मन्त्र,यन्त्र और तन्त्र
मुनि प्रार्थना सागर
दिल की धड़कन मिटती है। ३. अलसी के पत्ते और धनिया का क्वाथ पीने से हृदय की निर्बलता मिट जाती है। ४. नागरबेल के पान का शर्बत पीने से हृदय को बल मिलता है। ५. हृदय रोग वाले को मुँह में स्वर्ण की डाली या दाँतों में स्वर्ण लगवाना चाहिये इससे
फायदा होता है। ६. २-४ अखरोट की गिरी खाने से हृदय रोग वाले को फायदा होता है। ७. आँवले के मुरब्बे के, लगातार सितोपलादि चूर्ण व मुक्तापिष्टि खाने से फायदा होता
८. पुनर्नवा, कुटकी, चिरायता और सोंठ का काढ़ा लेने से समस्त हृदय रोग मिटते हैं। ९. मेथीदाने के क्वाथ में मिश्री मिलाकर पीने से छाती के पुराने रोग भी मिटते हैं। १०. कपूर की डली को शीशी में रखकर सूंघने से भी कभी-कभी हृदय रोग का दौरा
निकल जाता है। ११. लौंग नग ५ व ब्राह्मी वटी गोली १ का घासा देने से दौरा निकल जाता है। १२. हृदय रोग के दौरे में गर्म चाय या दूध देना चाहिये परन्तु ठण्डी वस्तु का प्रयोग नहीं
करना चाहिये। १३. छाती के दर्द में विक्स व आयोडेक्स को अहिस्ता-अहिस्ता मलना चाहिये। १४. छाती के दर्द में गर्म पानी की थैली लगाना चाहिये व पूर्ण विश्राम करना चाहिये। १५. छाती के दर्द में सूंघने की तम्बाकू सूंघना फायदेमंद होती है। १६. अर्जुन की छाल का क्वाथ पीने से हृदय में बल मिलता है। १७. हृदय रोग वाले रोगी को श्रृंग भस्म 0.२ ग्राम घृत में चाटना चाहिये। १८. नागफनी और थूहर के पंचांग का रस देने से हृदय गति सुव्यवस्थित होती है। १९. नागफनी और थूहर के पंचांग की राख देने से पेशाब तथा दस्त होकर हृदय की क्रिया
सुधरती है। 20. हृदय रोग- सूरजमुखी का तेल इस्तेमाल करने से लाभ होता है। 21. अर्जुन की छाल का चूर्ण बनायें। इसको गो के दूध से पकायें। छानकर तथा गुड़ डालकर रोगी को दें। इससे हृदय रोग से मुक्ति होती है।
(79) रक्त चाप (ब्लड प्रेशर)१. दानामेथी और सोवा की फक्की सुबह-शाम कई दिन तक पानी के साथ लेने से
558