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मंन्त्र, यन्त्र और तन्त्र
मुनि प्रार्थना सागर
7. पथरी निवारणार्थ- पथरी, चर्म रोग, में मेंहदी की छाल का क्वाथ बनाकर पीने से लाभ होता है। यह क्वाथ पथरी को गला कर निकाल देता है ।
स्वास्थ्य अधिकार
8. पथरी
:- एक गिलास पानी में एक नीबू निचोड़कर सेंधा नमक मिलाकर सुबह-शाम नित्य एक माह तक पीने से पथरी पिघलकर निकल जाती है ।
9. पथरी:- मक्के के भुट्टे की राख पानी में डालकर छानकर पीए ।
10. पथरी या बहुमूत्र - काले चने दूध में भिगाकर सुबह खाएं तथा जौ व चने की रोटी खाएं बहुमूत्रबाधा दूर होगी । चने व गेहूँ पानी में उबालें आधा रह जाए तो वह पानी पीए व इनकी रोटी बनाकर खाने से पथरी नहीं होती ।
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पत्थरी रोग में कुल्थी, मूँग, जौ, गेहूँ, चावल, दूध, घृत, टिंडसा और सेंधानमक पथ्य है।
१२. गोखरू का चूर्ण १२.५ ग्राम, भेड़ का दूध तथा मिश्री मिलाकर पीने से पत्थरी रोग मिट जाता है।
मक्का के सिर के बाल को पानी में उबालकर कालीमिर्च मिलाकर पिला दें तो पथरी मिट जाती है।
( 76 ) लीवर (यकृत) रोग
१. छाछ में हींग का बघार देकर जीरा, कालीमिर्च और नमक मिलाकर पीने से लीवर रोग में फायदा होता है।
२.
लीवर की कठोरता मिटाने के लिए अमरबेल के तेल का लेप करना चाहिये ।
३. लीवर में ताकत लाने के लिए अमरबेल का क्वाथ पीना चाहिये ।
( 77 ) तिल्ली (लिप ) रोग
१. करेला के फल के रस में राई और नमक मिलाकर पीने से बढ़ी हुई तिल्ली मिटती है।
२. गाजर का आचार लम्बे समय तक खाने से तिल्ली मिट जाती है ।
३. गवार पाठे की गिरी पर सोहागा या चित्रक बुरकाकर खाने से तिल्ली मिटती है।
४. चूना और मिश्री की चासनी का लेप करने से तिल्ली रोग मिटता है ।
५. सीप की भस्म दही के साथ खाने से ताप तिल्ली मिट जाती है।
(78) हृदय रोग
१. पारस पीपली की छाल के मध्य भाग को घिसकर लेप करने से पित्तजन्य हृदय रोग और पीड़ा मिटती है।
२. अनार के पत्ते ताजे लेकर आधापाव, पानी में पीसकर छानकर सुबह-शाम पिलाने से
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