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स्वास्थ्य अधिकार
मंन्त्र,यन्त्र और तन्त्र
मुनि प्रार्थना सागर
२. मूली के बीजों को बकरी के दूध में पीसकर लेप करने से कंठमाला मिटती है। ३. ढाक की जड़ को घिसकर कानों के नीचे लेप करने से गंडमाला मिटती है। ४. अरीठों का लेप करने से कंठमाला की सूजन मिट जाती है। ५. शहतूत का शर्बत पीने से कंठमाला और जीभ की सूजन मिट जाती है। ६. चूने के पानी को लगाने से भी गले के फोड़े मिटते हैं। ७. आलू-बूखारा चूसने से गले की खुश्की मिट जाती है। ८. अजवाइन और शक्कर औटाकर पीने से गला खुल जाता है। 9. गला खराब- पानी में गेहूँ का चोकर उबालें उसमें शक्कर व दूध डालकर चाय की तरह पीएं या गेहूँ की चाय पीए गला ठीक होगा।
(65) स्वर-भंग१. अजमोद, हल्दी, चित्रक, जवाखार और आंवला इनको समान भाग लेकर महीन छान
करके ४.८ ग्राम (६माशा) घृत या मिश्री की चासनी के साथ चाटने से भयंकर स्वर
भंग रोग मिट जाता है। २. हरड़ की छाल, बच, पीपल इन सबको खरल करके गर्म जल से लेने से स्वर भंग
मिटता है। ३. बेहड़ा की छाल, पीपल, सेंधानमक, आंवला इन सबको महीन कूट छानकर गाय की
छाछ से या गौमूत्र से लेने से स्वर भंग मिटता है। ४. जायफल, खील, बिजोरा की केशर इन सबको खरल करके मिश्री की चासनी से
चाटें तो स्वर भंग रोग मिट जाता है। ५. स्वर भेद वाले रोगी को पान की जड़ (कुलिंजन) मुँह में चबाना और चूसना
चाहिये। ६. वच, कुलंजन, बावची, चौथा नागर पान। इनका जो सेवन करे कण्ठ कोकिला
जान। ७. तज, कालीमिर्च, कुलंजन, बच, अकरकरा इन्हें बराबर लेकर कूट छान लें फिर
प्रतिदिन १.४ ग्राम (१॥माशा) खाने से कण्ठ साफ हो जाता है।। ८. यदि गले में बाल अटक जाय तो- शक्कर, मक्खन, द्राक्षा और शीतल मिर्च का चूर्ण ___बनाकर लेने तुरन्त लाभ हो जाता है।
स्वर भंग के लिए- कुलिंजन, इलायची, मुलैठी, सफेद मिर्च के चूर्ण को पान के रस में १२ घण्टे घोटकर .१-.१ ग्राम (१-१ रत्ती) की गोलियाँ बना लें, मुँह में चूसने से
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