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________________ स्वास्थ्य अधिकार मन्त्र,यन्त्र और तन्त्र मुनि प्रार्थना सागर जिससे फायदा होता है। २. नीम की छाल, गिलोय, लालचन्दन, पदमाख, धनिया इन सबका काढ़ा १० दिन-तक देने से कफ पित्त ज्वर तथा दाह प्यास मिटे। ३. नीम की छाल, गिलोय, इन्द्रजौ, पटोल, कुटकी, सोंठ, सफेद चन्दन, नागरमोथा, पीपल इन सबको समान भाग लेकर महीन कूट छानकर ३.२ ग्राम (४ माशा) अष्टावशेष जल के साथ लेने से ज्वर, श्वास, अरुचि, खांसी मिटती है। ४. दाख, किरमाल की गिरी, धनिया, कुटकी, नागरमोथा, पीपला-मूल, सोंठ, पीपल, इन सबको लेकर कूट करके ३.२ ग्राम (४ माशा) का काढ़ा दोनों समय ११ दिन लेने से शूल, मूर्छा, अरुचि, वमन, ज्वर आदि मिटता है। ५. लालचन्दन, पदमाख की छाल, धनिया, नीम की छाल, गिलोय इन सबका काढ़ा पीने से पित्त कफ ज्वर दूर हो जाता है। (29) वात पित्त ज्वर १. चावल की खीर के पानी में मिश्री मिलाकर १० दिन लेने से वात पित्त ज्वर नष्ट होता है। २. गिलोय, पित्तपापड़ा, नागरमोथा, चिरायता, सोंठ इन सबका काढ़ा पंचभद्र कहलाता है, इससे वात पित्त ज्वर मिटता है। ३. पंचमूल, गिलोय, नागरमोथा, चिरायता, सोंठ का काढ़ा देने से वात पित्त ज्वर नष्ट होता है। (30) सन्निपात ज्वर १. यदि सन्निपात में ज्ञान न रहे तो-बच, महूवो, सेंधा-नमक, मिर्च, पीपल इन सबको बराबर लेकर महीन खरल करके गर्म पानी से नश्य देवें तो ज्ञान हो जाता है। २. यदि सन्निपात में शीत हो जाय तो सोंठ, पीपल, मिर्च, हरड़ की छाल, लोद, पोहकरमूल, चिरायता, कुटकी, कूट, कचूर, इन्द्रजौ इन सबको महीन पीसकर शरीर को मर्दन करें तो पसीना व शीतांग मिटे। ३. लहसुन, पीपल, मिर्च, बच, लुंकाबीज, सेंधानमक, इन सबको बराबर लेकर जौकूट करके गोमूत्र में घोंटकर नेत्रों में अंजन करने से सर्व प्रकार का सन्निपात मिटता है। ४. इलायची, दालचीनी, पत्रज के साथ २ रत्ती जस्त-भस्म देने से सन्निपात मिटता है। (31) जीर्ण-ज्वर १. धनिया और पित्तपापड़ा का क्वाथ पीने से पुराना ज्वर मिटता है। २. गिलोय के स्वरस में पीपल का चूर्ण तथा मिश्री की चासनी में चाटने से जीर्ण ज्वर, खाँसी, दमा, कफ, प्लीहा, अरुचि आदि रोग मिट जाते हैं। 532
SR No.009381
Book TitleSwasthya Adhikar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPrarthanasagar
PublisherPrarthanasagar Foundation
Publication Year2011
Total Pages103
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size1 MB
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