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योग चिकित्सा
योग क्या है? योग शब्द युज्' धातु से बना है। जिसका शाब्दिक अर्थ है जुड़ना-मिलना। जब व्यक्ति अपनी आत्मा से जुड़ जाता है तथा उससे साक्षात्कार कर लेता है तो वह स्वयं को नर से नारायण और आत्मा को परमात्मा बना देता है। योग सुखी जीवन जीने की सरल एवं प्रभावशाली श्रेष्ठ विधि है। जिसके द्वारा मनुष्य का शरीर पूर्ण स्वस्थ, इन्द्रियों में अपार शक्ति, मन में अपूर्व आनन्द, बुद्धि में सम्यक् ज्ञान एवं भावों में कषायों की मंदता और सजगता आती है, वही सच्चा योग होता है। योग साधना से मनुष्य जन्म-मृत्यु के बन्धनों से मुक्त हो सकता है। योग द्वारा शरीर से रोग, इन्द्रियों से,थकावट और कमजोरी, मन से चिंता, भय, तनाव, आवेगों से अपने आपको मुक्त रखा जा सकता है। वर्तमान में प्रचलित योग का मुख्य आधार पातंजलि द्वारा निर्धारित अष्टांग योग साधना है। पातंजलि ने यम, नियम, आसन, प्राणायाम, प्रत्याहार ध्यान और समाधि के द्वारा योग के आठ अंगों का क्रमानुसार निर्देश किया है। जिसको सम्यक विधि से क्रियान्विति करने पर मनुष्य अपने परम : लक्ष्य मोक्ष तक को प्राप्त कर सकता है। योग की सारी साधना व्यक्ति के स्वयं के ' ... सम्यक् पुरूषार्थ पर ही निर्भर करती है। जो मानव की सम्यक् जीवन शैली का ही... रूप. होता है। योग शरीर को विशेष प्रकार से मोड़ना अथवा घुमाना मात्र व्यायाम ही नहीं है, अपितु मन, वचन और काया का सम्यक् संयम, तालमेल और संतुलन ही सच्चा योग होता है। वास्तव में योग सम्यक् ज्ञान, सम्यक् दर्शन और सम्यक् आचरण की उत्कृष्ट साधना है। जिससे शरीर, मन और आत्मा ताल से ताल मिलाकर कार्य करते हैं। तीनों के विकारों से लड़ने की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है . तथा तीनों निर्विकारी बनते हैं। यही मनुष्य जीवन का ध्येय होता है।
. यम .. . यम का मतलब होता है निग्रह अर्थात् छोड़ना। हम जीवन में क्या छोड़ें? - क्यों छोड़ें? हमारे जीवन को जो विकारी बनाते हैं, पतित बनाते है, जीवन के लिए .
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