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________________ स्वर चिकित्सा सृष्टि की रचना में सूर्य और चन्द्र का महत्त्वपूर्ण स्थान होता है। हमारा जीवन अन्य ग्रहों की अपेक्षा सूर्य और चन्द्र से अधिक प्रभावित होता है। उसी के कारण दिन-रात होते हैं तथा जलवायु बदलती रहती है। समुद्र में ज्वार भी सूर्य एवं चन्द्र के कारण आता है। हमारे शरीर में भी लगभग दो तिहाई भाग पानी होता है। सूर्य और चन्द्र के गुणों में बहुत विपरीतता होती है। एक गर्मी का तो दूसरा ठण्डक का स्रोत माना जाता है। सर्दी और गर्मी सभी चेतनाशील प्राणियों को बहुत प्रभावित करते हैं। शरीर का तापक्रम 98.4 डिग्री फारेनाइट निश्चित होता है और उसमें बदलाव होते ही रोग होने की संभावना होने लगती है। ___ मनुष्य के शरीर में भी सूर्य और चन्द्र की स्थिति शरीरस्थ नाड़ियों में मानी गई है। मूलधारा चक्र से सहस्त्रार चक्र तक शरीर में 72000 नाड़ियों का हमारे पौरणिक ग्रन्थों में उल्लेख मिलता है। स्वर विज्ञान :- सूर्य, चन्द्र आदि ग्रहों को शरीर में स्थित इन सूक्ष्म नाड़ियों की सहायता से अनुकूल बनाने का विज्ञान है। स्वर क्या है ? . .. नासिका द्वारा श्वास के अन्दर जाने और बाहर निकलते समय जो अव्यक्त ध्वनि होती है, उसी को स्वर कहते हैं। नाड़ियाँ क्या है? __ नाड़ियाँ चेतनाशील प्राणियों के शरीर में वे मार्ग हैं, जिनमें से होकर प्राण ऊर्जा शरीर के विभिन्न भागों तक प्रवाहित होती है। हमारे शरीर में तीन मुख्य नाड़ियाँ होती है। ये तीनों, नाड़ियाँ मूलधारा चक्र से सहस्रार चक्र तक मुख्य रूप से चलती है। इनके नाम ईडा, पिंगला और सुषुम्ना हैं। इन नाड़ियों का सम्बन् | स्थूल शरीर से नहीं होता। अत: आधुनिक यंत्रों, एक्स-रे, सोनोग्राफी आदि यंत्रों से अभी तक उनको प्रत्यक्ष देखना संभव नहीं हो सका है। जिन स्थानों पर ईडा, 'पिंगला और सुषुम्न नाड़ियाँ आपस में मिलती है. उनके संगम स्थल को शरीर में ऊर्जा चक्र अथवा शक्ति केन्द्र कहते हैं। ईडा और पिंगला नाड़ी तथा दोनों नथूनों से प्रवाहित होने वाली श्वास के 6 .
SR No.009380
Book TitleSwadeshi Chikitsa Swavlambi aur Ahimsak Upchar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChanchalmal Choradiya
PublisherSwaraj Prakashan Samuh
Publication Year2004
Total Pages96
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
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