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' मुद्रा विज्ञान से संतुलित
करिए पंच तत्त्वों को।
शरीर में हथेली प्रमुख सक्रिय भाग
शरीर में सक्रिय अंगों में हाथ भी प्रमुख है। हथेली में एक विशेष प्रकार की प्राण ऊर्जा अथवा शक्ति का प्रवाह निरन्तर होता है। इसी कारण शरीर के किसी • भाग में दुःख, दर्द, पीड़ा होने पर सहज ही हाथ वहाँ चला जाता है। अंगुलियों में
अपेक्षाकृत संवेदनशीलता अधिक होती है। इसी कारण अंगुलियों से ही नाड़ी की गति को देखा जाता है। जिससे मस्तिष्क में नब्ज की कार्यविधि का संदेश शीघ्र ही . पहुँचता है। रेकी चिकित्सा में हथेली का ही उपयोग होता है। रत्न चिकित्सा में विभिन्न प्रकार के नगीने अंगूठी के माध्यम से हाथ की अंगुलियों में ही पहने जाते हैं। जिनकी तरंगों के प्रभाव से शरीर को स्वस्थ रखा जा सकता है। एक्यूप्रेशर चिकित्सा में हथेली में सारे शरीर के संवेदन बिन्दु होते हैं। सुजोक बायल मेरेडियन के सिद्धान्तानुसार अंगुलियों से ही शरीर के विभिन्न अंगों में प्राण ऊर्जा के प्रवाह को नियन्त्रित और संतुलित किया जा सकता है। अनुभवी हस्त रेखा विशेषज्ञ हथेली देख कर व्यक्ति के वर्तमान, भूत और भविष्य की महत्त्वपूर्ण घटनाओं को बतला सकते हैं। कहने का आशय यही है कि हाथ, हथेली और अंगुलियों का मनुष्य की जीवन शैली से सीधा सम्बन्ध होता है। इसी प्रकार हस्त योग मुद्राओं द्वारा पंच तत्त्वों को सरलता से संतुलित किया जा सकता है। ये मुद्राएँ शरीर में चेतना के शक्ति केन्द्रों में रिमोट कण्ट्रोल के समान स्वास्थ्य रक्षा और रोग निवारण करने में प्रभावशाली कार्य करती हैं। जिससे मानव भौतिक, मानसिक और आध्यात्मिक उन्नति की तरफ अग्रसर होता है। . . ..
मुद्रा विज्ञान .. . हाथ की पाँचों अंगुलियों का सम्बन्ध पंच महाभूत तत्त्वों से होता है। प्रत्येक . अंगुली अलग-अलग तत्त्व का प्रतिनिधित्व करती है। जैसे कनिष्ठिका जल तत्त्व
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