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ड़कन अपने केन्द्र में न हो तो शरीर असंतुलित होने लगता है।
नाभि निरीक्षण की विधि नाभि अपने स्थान पर है अथवा नहीं, पता लगाने की अनेकों विधियां होती हैं परन्तु यहाँ एक ही प्रमुख विधि का तरीका बताया जा रहा है जिस व्यक्ति की नाभि चेक करनी हो उस व्यक्ति को जमीन पर पीठ के बल सुला दीजिये। फिर अपने बांयें अथवा दाहिने हथेली की पांचों अंगुलियों को एक साथ मिलाकर ठीक नाभि पर दबाव देते हुये रखिये। यदि नाभि अपने स्थान पर होगी तो पांचों अंगुलियों के बीच में आपको स्पन्दन का आभास होगा। यदि नाभि थोड़ी हटी हुई हो तो नाभि का स्पन्दन पांचों अंगुलियों में किसी अंगुली से दबाव देते हुए, उस स्थान को मालूम .
करें, जहां स्पन्दन आ रहा हो। जहां पर स्पन्दन आता है, नाभि चक्र उसी स्थान । . पर होता है। परन्तु जिन लोगों का पेट मोटा अथवा कठोर होता है, उन लोगों के
नाभि चक्र का स्पन्दन आसानी से पता नहीं चलता तथा ढूंढने वाले को नाभि क्षेत्र में पर्याप्त दबाव डालकर ढूंढना पड़ता है। नाभि केन्द्र ठीक करने की विधियां ।
नाभि केन्द्र को अपने स्थान पर लाने के लिये भारत में अनेकों विधियाँ प्रचलित है। वे इतनी सरल हैं कि कोई भी जिज्ञासु, शिक्षित, अशिक्षित बच्चा, बुढ़ा, आसानी से उन विधियों को सीख सकता है। नाभि के केन्द्र में स्पन्दन का अनुभव होने पर वह अपने स्थान पर कही जाती है। परन्तु यदि स्पन्दन केन्द्र में न हो तो, बोलचाल की भाषा में हम इसे नाभि का खिसकना कहते हैं।
. 1: प्रातःकाल खाली पेट रोगी को सीधा सुलाएँ। नाभि के आसपास बाल हों तो उन्हें साफ कर लें, अथवा पानी से गिला कर लें। उसके पश्चात. रोगी को पांच सात बार गहरी एवं लम्बी श्वास लेने को कहें। उसके पश्चात नाभि के केन्द्र पर जला हुआ दीपक रख उसको कांच की ग्लास से ढक दें तथा.प्रेट पर ग्लास को हल्का सा दबाव देकर रखें। थोड़ी देरे बाद ग्लास के अन्दर की आक्सीजन समाप्त हो जाने से दीपक बुझ जायेगा तथा ग्लास पेट के चिपक जायेगी, तथा उसके अन्दर की वायु नाभि के स्पन्दन को अपनी जगर पर लाने के लिये खिंचाव करेगी। जब नाभि का स्पन्दन अपने केन्द्र में आ जायेगा तो ग्लास अपने आप पेट से हट जायेगी। जितनी देर से ग्लास हटती है, उतने ही अनुपात में नाभि क्षेत्र में प्राण ऊर्जा के प्रवाह में अवरोध होता है। रोग ज्यादा अथवा कम, पुराना अथवा तत्कालीन होता है। अगर नाभि का स्पन्दन अपने केन्द्र में होता है तो ग्लास दीपक बुझने के पश्चात या तो पेट से चिपकेगी भी नहीं अथवा तुरन्त हट जायेगी। ग्लास
हटने के पश्चात पुनः नाभि का स्पन्दन उसके केन्द्र में जांच कर लें। ग्लास हटने . के पश्चात् उसी स्थान पर रांगी को बैठा कर कुछ सात्विक ठोस पोष्टिक भोजन
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