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________________ । या चेहरे की मुस्कुराहट से अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करता है। इसके विपरीत व्यंग्यात्मक और अपमानजनक शब्दों के प्रयोग से महाभारत हो सकता है। कटुवाणी से मित्रता का नाश होता है। डांटने, फटकारने, चिड़चिड़ाने से स्वयं की मानसिकता और विचारों में तो विकार होते ही हैं, सामने वालों में घृणा, नफरत, द्वेष के भाव पैदा करते हैं। निन्दा करने वालों और चुगली खाने वालों को शत्रुओं को ढूंढने की जरूरत नहीं होती । सत्य, मधुर और कम बोलने वालों का सभी आदर करते हैं और सदैव निर्भय एवं तनावमुक्त होते हैं। इसके विपरीत झूठ, कड़वा और ज्यादा बोलने वाले सदैव भयभीत और तनावग्रस्त रहते हैं। मधुर वाणी सर्वोत्तम आदर-सत्कार और उपहार है। __इस प्रकार हम देखते हैं कि वाणी एक ऊर्जा है। ऊर्जा का प्रयोग अच्छे कार्य के लिए भी हो सकता है और बुरे कार्य के लिए भी हो सकता है। शक्ति, शक्ति होती है। उसका अच्छा अथवा बुरा प्रयोग करना प्रयोक्ता पर निर्भर करता है। ऊर्जा अपने आप में अच्छी या बुरी नहीं होती। वाणी का प्रभाव तुरन्त और प्रभावशाली होता है। संगीतमय वातावरण में गाय ज्यादा दूध देती है। पेड़-पौधे और वृक्ष जल्दी विकसित होते हैं तथा उनकी गुणवत्ता बढ़ जाती हैं। आदर-सत्कार एवं प्रेम भरे वातावरण में खाया और खिलाया गया भोजन ज्यादा शक्तिवर्धक होता है। इसके विपरीत घृणा, द्वेष और अपमानजनक वातावरण में खाया गया पौष्टिक भोजन भी जहरतुल्य हो जाता है। इसी कारण हमारे देश में अतिथियों को पहले देवता के तुल्य समझा जाता था। उनका आदर सत्कार किया जाता था। भोजन कराते समय भी प्रेमपूर्वक मनुहार का प्रचलन था। खुशी के प्रसंगों पर सम्मानपूर्वक अपने प्रियजनं को आमंत्रित कर भोजन कराने का रिवाज था, परन्तु आज उसमें काफी कमी आ गई है। तनाव, संकट, पीड़ा, दुःख भुलाने के लिए मधुर वाणी अमूल्य औषधि का कार्य करती है। अतः स्वास्थ्य की कामना रखने वालों को वाणी का दुरूपयोग नहीं. करना चाहिए तथा आवश्यकता पड़ने पर ही कम से कम विवेकपूर्वक सत्य, मधुर भाषा का प्रयोग करना चाहिए। मौन साधना से व्यक्ति का आत्मबल बढ़ता है।
SR No.009375
Book TitleSwadeshi Chikitsa Aapka Swasthya Aapke Hath
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChanchalmal Choradiya
PublisherSwaraj Prakashan Samuh
Publication Year2004
Total Pages94
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size3 MB
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