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ऐसे व्यक्तियों को इन अंगों से सम्बन्धित रोग होने की अधिक सम्भावना रहती है।
मानसिक तनाव से रोग. क्यों?
तनाव एक प्रकार से जीवन की आवश्यक प्रक्रिया है। तनाव एक दबाव' की अवस्था है। तनाव परिणाम है, फल है, कारण नहीं। किसी भी क्षण व्यक्ति तनाव की स्थिति में आ सकता है। तनाव आता है और चला जाता है, तो ज्यादा खतरनाक नहीं होता। शारीरिक तनाव थोड़ा-बहुत तो उपयोगी भी है। व्यायाम, योग, आसन आदि में शरीर में तनाव की स्थिति उत्पन्न की जाती है, परन्तु शारीरिक तनाव भी आवश्यकता से ज्यादा हो जाए तो स्थिति बिगड़ सकती है। केवल काम ही काम, विश्राम नहीं, ऐसी स्थिति में तनाव इतना ज्यादा हो जाता है कि माँसपेशियाँ भी अकड़ .. जाती हैं। मानसिक और भावनात्मक तनाव तो पूर्णरूप से हानिकारक ही होता है।
चिन्ता, भय अथवा मानसिक उद्वेगों की अधिकता से मस्तिष्क के स्नायु अधिक सक्रिय हो जाते हैं। जो अंग अधिक सक्रिय हो जाता है, उसे अधिक कार्य करना पड़ता है। अधिक कार्य करने के लिए मस्तिष्क को ऊर्जा की आवश्यकता होती है, जिसकी पूर्ति रक्त से ही होती है। परिणामस्वरूप मस्तिष्क में रक्त का संचार बढ़ जाता है। शरीर में रक्त की मात्रा निश्चिम ही होती है। अतः अन्यत्र रक्त का वितरण कम हो जाने से शरीर के उस भाग में ऊर्जा की कमी हो जाती है। ऊर्जा की कमी से वे अंग अपना कार्य बराबर नहीं कर पाते और व्यक्ति अनेक रोगों का शिकार होने लगता है। उसका पाचन बिगड़ जाता है, हृदय दुर्बल और स्नायु, कमजोर, श्वसन आंशिक होने लगता है। रोग का कारण दूर किए बिना, स्थायी उपचार कैसे सम्भव हो सकता है ? उसका उपचार मानसिक शान्ति के बिना सम्भव नहीं।
. देहधारी मानव का सृजन तन और मन के योग से हुआ है। दोनों में इतना सम्बन्ध है कि मन की प्रतिक्रियाँ का प्रभाव तन पर पड़े बिना नहीं रहता तथा शरीर के किसी अंग, उपांग, तंत्र और अवयव की खराबी अर्थात रोग के कारण मन में चिन्ता, तनाव, भय, अधीरता, दुःख होने लगता है। शरीर का सृजन सूक्ष्म कोशिकाओं एवं तन्तुओं से होता है, जिनके निर्माण में मन की प्रभावशाली भूमिका होती है। मानसिक विकारों से कोशिकाएं और तन्तु प्रभावित होते हैं, जिससे शरीर की सभी आवश्यक क्रियाएँ और तंत्र, अंगोपांग आदि असन्तुलित होने से शारीरिक रोगों की स्थिति बनने लगती है। -
.. आँसू तनाव का प्रतीक
मानसिक तनाव, दुःख, चिन्ता आदि की स्थिति में शरीर में विपरीत प्रभाव डालने वाले जो रसायन बनते हैं, उन हानिकारक पदार्थों को आँसू बाहर निकालकर शरीर को स्वस्थ रखने में सहयोग देते हैं। कभी-कभी तनाव की स्थिति में भी न
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