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'आज चारों तरफ से मानव पर अन्याय, अत्याचार, विश्वासघात जैसी घटनाएं हो रही है। चिकित्सा का पावन क्षेत्र भी उससे अछूता नहीं है। चिकित्सा के नाम पर आज हिंसा को प्रोत्साहन, अकरणीय, अनैतिक आचरण को मान्यता, अभक्ष्य अथवा अखाद्य पदार्थों का सेवन उपयोगी, आवश्यक बतलाने का बेधड़क खुल्लम-खुला प्रचार हो रहा है। अतः काफी समय से प्रभावशाली, स्वावलम्बी, अहिंसात्मक चिकित्सा पद्धतियों हेतु मन में चिन्तन और जिज्ञासा होने लगी ताकि हिंसा के इस क्षेत्र का विकल्प • जनसाधारण को समझाया जा सके। दृढ़ इच्छाशक्ति के कारण मैंने एक्यूप्रेशर,
चुम्बक, सूर्य किरण, रंग, पिरामिड, शिवाम्बु, रेकी, मुद्रा विज्ञान, स्वर विज्ञान पद्धतियों का. प्रशिक्षण लिया तथा राष्ट्र और अन्तरराष्ट्रीय स्तर पर आयोजित समग्र चिकित्सा सम्मेलनों में भाग लेकर अहिंसात्मक चिकित्साओं को न केवल अपने जीवन में अपनाया, अपितु हजारों रोगियों को रोग मुक्त करने का सुखद अनुभव प्राप्त किया। स्वयं द्वारा आयोजित प्रशिक्षण शिविरों तथा स्वास्थ्य के विषयों पर सैंकड़ों विचार गोष्ठियों में विचार चर्चा तथा शंका समाधानों से स्वास्थ्य के प्रति व्यापक दृष्टिकोण के आधार पर विज्ञान और आध्यात्म का भेद समझने का सुअवसर मिला। अपने अनुभवों को जनसाधारण के उपयोग हेतु पुस्तक के रूप में प्रकाशित करने का मेरा मानस बना। तीन खण्डों में प्रकाशित होने वाली प्रभावशाली, स्वावलम्बी, अहिंसात्मक चिकित्सा पद्धतियों के इस प्रथम भाग में रोग क्या, क्यों, कब और कैसे? स्वास्थ्य क्या है? विज्ञान क्या है? स्वास्थ्य में मन, वाणी प्राण, पर्याप्तियों तथा आत्मा और उसको प्रभावित करने वाले कर्म, भाव आदि का विवेचन किया गया है। जब तक रोग के कारणों की उपेक्षा होगी, सम्पूर्ण स्वास्थ्य की प्राप्ति कल्पना मात्र ही होगी। पुस्तक का दूसरा खण्ड “स्वस्थ जीवन कैसे जीएं तथा तृतीय खण्ड में "प्रभावशाली स्वावलम्बी अहिंसात्मक चिकित्सा पद्धतियों द्वारा निदान, उपचार और रोकथाम का विवेचन प्रस्तावित है।
प्रस्तुत पुस्तक में स्वास्थ्य के सम्बन्ध में एक नवीन चिन्तंन प्रस्तुत करने का लघु प्रयास है। चिकित्सक रोग का कारण शरीर को मानता है, अतः उपचार करते समय शरीर को ही महत्त्व देता है। योगी और साधक रोग का कारण आत्मा के विकारों को मानते हैं। अतः आत्मा की शुद्धि को अधिक महत्त्व देते हैं। आत्मा और शरीर में किसी की भी उपेक्षा करने से हम अपनी क्षमताओं का उचित लाभ नहीं उठा सकते। क्योंकि जब तक जीवन है, दोनों की उपयोगिता है। - इस नवीन दृष्टिकोण की विभिन्न प्रतिक्रियाएँ हो सकती हैं। सुज्ञ. पाठक मेरी बातों से सहमत होंगे तथा अच्छी जीवन शैली जीने और प्रभावशाली उपचार हेतु उनमें जिज्ञासा जगेगी। चन्द पाठकों को अपनी शंकाओं को दूर करने के लिए और अधिक स्पष्टीकरण एवं तर्कसंगत समाधान की अपेक्षा हो सकती है। कुछ पाठक
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