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सरल सामुद्रिक शास्त्र
महिलाओं के पैरों का लक्षण
• समस्त अंगुलियां समान लंबाई की हों और अच्छी तरह पुष्ट हों तथा एक दूसरे से मिली हुई हों तो वे श्रेष्ठ फल देने वाली होती हैं।
• पैर की चारों अंगुलियां छोटी हों और अलग-अलग फैली हुई हों, तो उस हालत में किसी की नौकरी या शारीरिक मेहनत करती हुई जीवन यापन करेगी।
• कनिष्ठा अंगुली चलते समय जमीन को स्पर्श न करे तो वह शीघ्र विधवा होवे या दुःखी जीवन होगा।
• तीसरी और अंतिम दोनों अंगुलियां अधिक छोटी हों तो वह पति का सुख नहीं प्राप्त होता।
• अंगूठे के साथ शेष चारों अंगुलियां गोल, नरम और सुन्दरता से उठी हुई हो तो शुभ लक्षण है। ये चारों अंगुलियां छोटी और पतली न हों। चपटी होने से अधिक परिश्रम होता है।
• लंबी अंगुलियों वाली स्त्री कुलटा कही गई है फैली हुई अंगुलियां दरिद्रिणी का संकेत देती है।
• एक अंगुली दूसरी अंगुली पर चढ़ी हो तो 'हत्वा बहून् पतिन्परः' के आधार पर अपने पति के लिए षडयंत्र करती है और अशुभ कही गयी है।
• जिस स्त्री के पांव की तर्जनी बड़ी हो वह स्वच्छन्द कामचारणी कही गई है।
• मध्यमा अंगुली सामान्य से अधिक बड़ी हो तो वह दुर्भगा होती है। उसके साथ किसी पुरुष का विवाह बड़ी समझदारी से करना चाहिए।
• यदि पैर की तीसरी अंगुली छोटी हो तो कलह करने वाली जानो। वह अंगुली यदि चलते समय जमीन की फर्श को स्पर्श न करे तो 'खादतेसा
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