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सरल सामुद्रिक शास्त्र
10. शनि रेखा लम्बी सीधी और अखण्ड होने से जातक निश्चय भावना वाला, बौद्धिक विचार वाला, समझदार, दूरदर्शी और गम्भीर होता है।
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11. शनि रेखा कई बार खण्डित हो, गुरु रेखा लम्बी तथा सीधी हो, मंगल रेखा बीच में कटी
हो, सूर्य रेखा धनुषाकार हो,
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शुक्र रेखा बीच से कटी हो तो वह जातक सत्य भाषी सरल, विनम्र सबका प्रिय नेता, आदि होता है।
12. शनि और गुरु रेखा पर अर्ध चन्द्राकार का निशान हो तथा सूर्य या चन्द्र रेखा परस्पर मिली हो तो वह परम् सौभाग्यशाली माना जाता है।
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13. शनि रेखा बीच में कटी हो तथा टेढ़ी हो, रेखा बीच से टेढ़ी हो तथा दांये
भाग में कटी हो, मंगल तथा सूर्य रेखा दांयी ओर सर्पाकार हो।
14. शनि रेखा छोटी हो, गुरु रेखा बीच में खण्डित हो, मंगल रेखा लम्बी और टेढ़ी हो साथ ही एक ओर अधिक झुकी हो, शुक्र रेखा बीच से खण्डित हो साथ ही दायी ओर एक रेखा उसे काटती हो, तो ऐसा जातक अभिमानी, क्रोधी, मित्रों द्वारा तिरस्कृत, व्यभिचारी कामातुर आदि अवगुणों वाला होता है।
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गुरु