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सरल सामुद्रिक शास्त्र
15. शनि रेखा गहरी तथा टेढ़ी हो, गुरु रेखा लम्बी हो तथा दोनों ओर झुकी हो, सूर्य रेखा बीच में खण्डित हो, तो जातक सुन्दर, सुखी, उदार, विद्वान, यशस्वी, धर्मात्मा तथा
भाई बन्धुओं का सम्माननीय होता हैं।
16. शनि और गुरु रेखा ऊपर की ओर चन्द्राकार हो, शनि रेखा छोटी हो, दोनों भौहें परस्पर मिली हों ऐसा जातक, धनी, असत्य भाषी, कामातुर और व्यभिचारी होता है।
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17. शनि रेखा धनुषाकार हो, गुरु रेखा साकार हो, मंगल रेखा लम्बी हो, सूर्य रेखा शाखा
युक्त हो, शुक्र रेखा बीच में कटी हो, वह जातक, पराक्रमी, लोभी, अशान्त तथा असफल जीवन वाला होता है।
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18. शनि रेखा लम्बी हो, गुरु रेखा सर्पाकार हो, वह जातक अपनी पत्नी से भय और कष्ट पाता है।
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19. शनि रेखा सीधी हो तथा बीच में दो रेखाओं द्वारा काटी जाय, मंगल व गुरु रेखा बीच में खण्डित हो, ऐसे जातक की सम्पत्ति को खतरा होता है।
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