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________________ शंकु अदग तथा ब, घ, द हल्के काले रंग में दिखाया गया है क्योंकि यहां सूर्य की किरणें आंशिक रूप में पड़ रही है। जब चन्द्रमा पूर्ण काला छाया वाले भाग में से गुजरता है तो पूर्ण चन्द्र ग्रहण लगता है। चन्द्र ग्रहण की पूरी अवधि कभी भी 1 घण्टा 45 मिनट से अधिक नहीं होती। इस पूरी अवधि में चन्द्रमा गहरी छाया के क्षेत्र से गुजर रहा होता है। सूर्य ग्रहण जब सूर्य तथा पृथ्वी के मध्य चन्द्रमा सीधी रेखा में आता है तब सूर्य ग्रहण लगता है। यह अमावस्या को होता है। तथा चन्द्रमा राहु या केतु बिन्दु के पास होगा। अ ये - पृथ्वी चन्द्रमा चित्र 12 सूर्य ग्रहण के भी वहीं कारण है जो चन्द्र ग्रहण के हैं। इसमें केवल चन्द्रमा सूर्य तथा पृथ्वी के मध्य स्थित होता है। पूर्ण सूर्य ग्रहण में सूर्य का पूरा बिम्ब दिखाई नहीं पड़ता। आंशिक सूर्य ग्रहण में सूर्य का कुछ भाग दिखाई पड़ता है। एक तीसरी प्रकार का भी सूर्य ग्रहण होता है जिसको बलयाकार सूर्य ग्रहण (Annutar solar Elipoe) कहते हैं। यह सूर्य ग्रहण उस समय होता है जब चन्द्रमा पृथ्वी से अधिक दूरी पर होता है तथा सूर्य पृथ्वी से निकटतम् दूरी (Perihelion) पर होता है। अन्य शर्ते वहीं रहती है। वलयाकार सूर्य ग्रहण इसलिये होता है क्योंकि चन्द्रमा का आमासीय कोणी व्यास सूर्य के कोणीय व्यास से कम है। जिसके कारण चन्द्रमा सूर्य को पूर्ण रूपेण ढ़क पाने में असमर्थ होता है। चन्द्रमा केवल सूर्य के केन्द्र को ही ढक पाता है जिससे सूर्य के किनारे दिखाई पड़ते हैं और सूर्य एक हीरे की अंगूठी की तरह दिखाई पड़ता है। देखे चित्र 12 96
SR No.009373
Book TitleSaral Jyotish
Original Sutra AuthorN/A
AuthorArunkumar Bansal
PublisherAkhil Bhartiya Jyotish Samstha Sangh
Publication Year
Total Pages154
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size1 MB
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