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________________ ग्रहण सूर्य एक तारा है तथा सौर मंडल में एक मात्र प्रकाशित आकाशीय पिण्ड है। सौर मंडल में अन्य ग्रह सूर्य से पड़ने वाले प्रकाश को परावर्तित करते हैं। प्रत्येक माह का अपना अपना गुरुत्वाकर्षण बल होता है जिसके प्रभाव से सब ग्रह एक-दूसरे से हुए हैं। चन्द्र ग्रहण ख सूर्य की किरणें , सूर्य चित्र 11 चन्द्रमा का पथ चन्द्रमा जब आकश में भ्रमण करते हुए पृथ्वी को छाया वाले मार्ग से गुजरता है तब चन्द्र ग्रहण लगता है देखो चित्र 11 ऐसा तभी होगा जब सूर्य, पृथ्वी तथा चन्द्रमा तीनों लगभग एक सीधी रेखा में आएंगे। चन्द्रमा की कक्षा (वृत) क्रांति वृत पर लगभग 5° का कोण बनाती है इसलिए जब-जब तीनों एक सीध में आते हैं तो चन्द्रमा क्रांति तल के पास हो भी सकता है नहीं भी हो सकता। इसलिए चन्द्रमा एक सीधे में हो भी सकता है और नहीं भी। जब पूर्णमा के दिन चन्द्रमा पृथ्वी तथा सूर्य के सीध में होता है तो चन्द्र ग्रहण लगता है। यदि एक सीध में नहीं होता तो चन्द्र ग्रहण नहीं लगता। चन्द्र ग्रहण तभी लगता है जब पूर्णमा वाले दिन सूर्य, पृथ्वी तथा चन्द्रमा एक सीध में हो तथा चन्द्रमा ठीक या लगभग राहु या केतु बिन्दु पर भी हो। जब चन्द्रमा का पूरा बिम्ब पृथ्वी की छाया में आता है तो पूर्ण चन्द्र ग्रहण होता है। जब विम्ब का कुछ भाग छाया में आता है तो आंशिक चन्द्र ग्रहण होता है। ऊपर चित्र 11 में सूर्य, पृथ्वी तथा चन्द्र एक सीध में पूर्णिमा के दिन दिखाएं गए हैं। शंकु, अबद को काला दिखाया गया है क्योंकि इसमें सूर्य की किरणे बिल्कुल नहीं आ रही। 95
SR No.009373
Book TitleSaral Jyotish
Original Sutra AuthorN/A
AuthorArunkumar Bansal
PublisherAkhil Bhartiya Jyotish Samstha Sangh
Publication Year
Total Pages154
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size1 MB
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