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25-26. The Nine Planets in Different Houses
पाठ-25-26. द्वादश भावों में रहने वाले नवग्रहों का फल
सूर्य
1. लग्न (प्रथम) में सूर्य हो तो जातक स्वाभिमानी, चंचल, कृशदेही, प्रवासी उन्नत नासिका, विशाल ललाटवाला, पित्त-वातरोगी, शूरवीर, अस्थिर सम्पत्तिवाला एवं अल्पकेशी होता है। 2. द्वितीय भाव में सूर्य हो तो जातक भाग्यवान्, सम्पत्तिवान्, मुखरोगी, झगड़ालू, नेत्रकर्णदन्तरोगी, राजभीरु, घरेलू जीवन दुःखी एवं स्त्री के लिए कुटुम्बियों से झगड़ने वाला होता है। 3. तृतीय भाव में सूर्य हो तो जातक, सरकार से सम्मान प्राप्त, कवि, भाई और सम्बन्धियों के कारण दुःखी, पराक्रमी, प्रतापशाली, लब्धप्रतिष्ठ एवं बलवान् होता
4. चतुर्थभाव में सूर्य हो तो जातक परमसुन्दर, कठोर, पितृधननाशक, चिन्ताग्रस्त, भाईयों से वैर करने वाला, गुप्तविद्या प्रिय एवं वाहन सुखहीन होता है। 5. पंचमभाव में सूर्य हो तो जातक अल्पसन्तितिवान्, बुद्धिमान्, सदाचारी, रोगी, दुखी, शीघ्र क्रोधी एवं वंचक होता है। 6. षष्ठभाव में सूर्य हो तो जतक वीर्यवान्, मातुल कष्टकारक, तेजस्वी, शत्रुनाशक, बलवान्, श्रीमान, निरोगी एवं न्यायवान् होता है। 7. सप्तम भाव में सूर्य हो तो जातक चिन्तायुक्त राज्य से अपमानित, आत्मरत, कठोर, स्वाभिमानी एवं विवाहित जीवन दुःखी होता है। 8. अष्टमभाव में सूर्य हो तो जातक धैर्यहीन, निबुद्धि, सुखी, धनी, क्रोधी, चिन्तायुक्त एवं पित्तरोगी होता है। 9. नवमभाव में सूर्य होतो जातक साहसी, ज्योतिषी, नेता सदाचारी, तपस्वीयोगी, वाहनसुख, भृत्यसुख एवं पिता के लिए अशुभ होता है। 10. दशमभाव में सूर्य हो तो जातक-प्रतापी, व्यवसाय कुशल, राजमान्य लब्ध-प्रतिष्ठ, राजमन्त्री, उदार, ऐश्वर्य सम्पन्न एवं लोकमान्य होता है।