________________
माना किसी का जन्म नक्षत्र भरणी है तथा संक्राति के दिन चन्द्रमा ज्येष्ठा नक्षत्र पर है। ज्येष्ठा से भरणी तक गिनने पर 12 नक्षत्र आये 12 में एक जोड़ा तो 13 नक्षत्र हुए। 13 नक्षत्र का नवीन वस्त्र या वस्तु की प्राप्ति है। अर्थात् जातक को उस मास में नवीन वस्त्र या अन्य कोई वस्तु प्राप्त होगी। हम इसमें एक की संख्या इस कारण जोड़ते है कोई इसमें अभिजित् नक्षत्र को भी गिनते हैं। नक्षत्रों का परिचय जन्म के समय चन्द्रमा जिस नक्षत्र पर होता है उसे (1) जन्म नक्षत्र कहते है। जन्म नक्षत्र से दसवां नक्षत्र (2) कर्म नक्षत्र कहलाता है। उन्नीसवां नक्षत्र (3) आधान नक्षत्र, तीसरा, नक्षत्र (6) वध तथा वाईसवां नक्षत्र (7) वेनाशिक नक्षत्र कहलाता है, यदि इन सात नक्षत्रों का वेध हो तो कष्ट या मृत्यु का भय रहता है। यदि साथ में कोई अन्य शुभ ग्रह हो तो केवल हानि होती है। इस वेध को हम सप्त शलाका के द्वारा देखते है जो निम्न प्रकार से बनाई जाती है।
उत्तर
धनिष्ठा शतभिषापू0भा उ०भा० रेवती अश्विनी भरणी
श्रवण
और कृतिका
रोहिणी
अभिजित् उषा সুOO
मृगशिर
पश्चिम
आर्द्रा
AAAAM पुनर्वसु
ज्येष्ठा अनुराधा
पुष्य
आश्लेषा
विशाखा स्वाती चित्रा हस्त उ०फा० पू०फा0 मघा
दक्षिण