SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 77
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ 21-22. Ephemeris पाठ-21-22.पंचाग पंचाग ज्ञान व्यक्ति अपने कर्मों के अनुसार जन्म लेता है। उसके माता पिता बंधु-बांधव उसके अधीन नहीं होते। उस समय की कुण्डली को जातक जीवन भर प्रभावित पाता है तथा उसके अनुसार कार्य करने पर सफलता प्राप्त करता है। यदि कोई अन्य कार्य शुभ समय में किया जाए तो क्या उस समय का प्रभाव उस कार्य पर नहीं होगा? अवश्य होगा। इसलिए कार्यारंभ के मुहूर्त का महत्व बढ़ जाता है। मुहूर्त निकाल कर कार्य आरम्भ करने को बुद्धिमानी से किया कार्य भी कह सकते हैं। इसमें हमें अपनी मनमानी नहीं की अपितु प्रकृति के प्रबन्धकों का, ग्रहों का ध्यान रख कर कार्य आरम्भ कर रहे हैं। इसलिए मुहूर्त का महत्व सब ज्योतिष ग्रन्थों तथा भारतीय संस्कृति के प्रतीक ग्रन्थों जैसे महाभारत तथा रामायण में स्पष्ट शब्दों में मिलता है। महाभारत में महाभारत का युद्ध मुहूर्त निकाल कर लड़ा गया है। इसलिए मुहूर्त का बहुत महत्व है। इसलिए भारतीय संस्कृति को माननेवाले प्रत्येक कार्य को आरम्भ करने से पहले किसी योग्य तथा अनुभवी ज्योतिषी से कार्य आरम्भ करने का मुहूर्त निकलवाते हैं। मुहूर्त मुहूर्त निकालने के लिये योग्य ज्योतिषी को वार, तिथि, नक्षत्र, योग तथा करण आदि की आवश्यकता होती है। प्रत्येक ज्योतिषी को इनको निकालना सम्भव नहीं होता। इसलिये बाजार में पंचांग मिलते हैं। बाजार में कई प्रकार के पंचाग मिलते हैं। प्रत्येक पंचांग अलग अलग जगह से प्रकाशित होता है। इसलिए उनके गणित का आधार भी अलग-अलग होता है। इसलिए जातक को चाहिये कि वे पंचांग उस स्थान का या उस पास के स्थान का खरीदना चाहिये जहां जातक रहता हो।
SR No.009373
Book TitleSaral Jyotish
Original Sutra AuthorN/A
AuthorArunkumar Bansal
PublisherAkhil Bhartiya Jyotish Samstha Sangh
Publication Year
Total Pages154
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size1 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy