________________
(नोट:- कभी-कभी ऐसा भी होता है कि किन्हीं दो भावो में भाव मध्य रेखांश पर एक ही राशि आ रही हो उस स्थिति में दोनों भावों में संख्या एक ही लगेगी।) तदुपरान्त ग्रह स्पष्ट सारणी से ग्रह के रेखांश अनुसार जिस भाव में ग्रह आ रहा होगा उस भाव में ग्रह को लिखा जायेगा जैसे- सूर्य रेखांश 9' 19° 10' हैं और लग्न कुण्डली में यह षष्ठ भाव में अंकित किया गया है अब हम षष्ठ भाव का विस्तार भाव स्पष्ट सारणी से देखेंगे भाव षष्ठ का प्रारम्भिक रेखांश 99° 1737" हैं और षष्ठ भाव समाप्रि रेखांश 109° 28' 35 " अर्थात षष्ठभाव का विस्तार 9o9°17'37' से 109°28′ 35 तक है सूर्य का रेखांश 95 10° 10 षष्ठ भाव के विस्तार के अन्दर ही है इसलिए सूर्य को भाव चलित में षष्ठ भाव में ही अंकित किया जायेगा ।
इस तरह शुक्र के रेखांश 11'6' 1' है जो लग्न कुण्डली में अष्टम भाव में अंकित हैं और अष्टम भाव का विस्तार 119° 28'35" से 09°17' 37" तक शुक्र का रेखांश इस विस्तार में नहीं आता अर्थात् सप्तम् भाव के विस्तार में है सप्तम भाव विस्तार 109° 28'35" से 119° 28'35" है इसलिए शुक्र भाव चलित कुण्डली में सप्तम भाव में अंकित किया जायेगा इसी तरह सभी ग्रहों के भाव के विस्तार अनुसार लिखा जायेगा यह भावो में ग्रहों का सही चित्रण होगा अर्थात जिस भाव के विस्तार में ग्रह रहता है उसी भाव को प्रभावित कर वही का फल देता
है ।
इस प्रकार देखा जाए तो भाव चलित ही जन्म समय का सही आकाशीय नक्शा चित्र है इसी अनुसार फल करना चाहिए।
67