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जन्म लग्न कुण्डली
गु. के.
/
च. 4
5
सू. बु.
V/शु. रा.श. ।
भाव चक्र व भाव चलित
जन्म लग्न कुण्डली में ग्रहों की स्थिति राशि अनुसार लिखी जाती है। भाव चलित कुण्डली में ग्रहों की स्थिति भाव के विस्तार अनुसार लिखी जाती है। भाव स्पष्ट सारणी अनुसार भावों का विस्तार पता चलता है भाव सन्धि भाव के प्रारम्भिक और अन्तिम रेखांश बताती है जिससे भाव का विस्तार मालूम होता है भाव मध्य भाव के मध्य में रेखांश को बताती भाव चलित कुण्डली अंकित करने में सबसे पहले भावों में राशियों की संख्या भाव मध्य के अनुसार लगाई जायेगी जैसे प्रथम भाव मध्य रेखांश 4 24° 34'04" है अर्थात् प्रथम भाव में सिंह राशि की संख्या लगाई जायेगी द्वितीय भाव मध्य रेखांश 5 24° 23 6" है अर्थात द्वितीय भाव में कन्या राशि की संख्या लगाई जायेगी इसी तरह सभी भाव के भाव मध्य रेखांश अनुसार द्वादश भावों में राशि अंकित की जाती है।
चलित कुण्डली
म.62
के
X3 च.
wX
9X शु. 11X / सू. ब. 1/12 श.
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